आरबीआई द्वारा गुजरात स्थित मेहसाणा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर भारी जुर्माना लगाये जाने के संदर्भ में बैंक के अध्यक्ष ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि पीएमसी बैंक में हुये घोटाले के बाद आरबीआई ने शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के प्रति कड़ा रुख अपनाया है।
“भारतीयसहकारिता.कॉम” को दिये एक साक्षात्कार में बैंक के अध्यक्ष गणपतभाई के. पटेल ने महसूस किया कि पीएमसी घोटाले के मद्देनजर आरबीआई कुछ अतिरिक्त सतर्क हो गया है। “कई बार ऐसे मुद्दे होते हैं, जिसमें आरबीआई से इस तरह की मजबूत प्रतिक्रिया का आह्वान नहीं करना चाहिए”, उन्होंने कहा।
पटेल ने हालांकि स्वीकारा कि बैंक ने आरबीआई के मानदंडों का उल्लंघन किया है जिसके कारण शीर्ष बैंक ने बैंक पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
पाठकों को याद होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने 04 नवंबर, 2019 के आदेश द्वारा मेहसाणा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर अपनी रुचि के निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों को ‘ऋण और अग्रिम देने के मामले में निर्देशों की अवहेलना करने पर और केवाईसी पर मास्टर निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया था।
बैंक की विफलता के लिए आरबीआई ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 [सह-पठित धारा धारा 46ए(4)(i) और 47ए(1)(सी)] के प्रावधानों के तहत आरबीआई द्वारा जारी किए गए पूर्वोक्त निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण उक्त बैंक पर जुर्माना लगाया है।
आरबीआई विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता के विषय में कुछ कहने का बैंक का इरादा नहीं है।
फोन पर इस संवाददाता से बात करते हुए पटेल ने कहा, “कई साल पहले हमने बीमार बैंक “सूरत नागरी सहकारी बैंक” का विलय अपने बैंक के साथ किया था। आरबीआई द्वारा उठाया गया केवाईसी का मुद्दा भी असत्य नहीं है”, स्पष्टवादी पटेल ने कहा। उन्होंने कहा, “हमने अब मामला हल कर लिया है लेकिन हमें अभी भी जुर्माना भरना है।”
आरबीआई द्वारा यूसीबी को निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों के लिए ऋण और अग्रिमों के निर्देशों का उल्लंघन करने का दोषी पाये जाने पर अध्यक्ष ने स्वीकारा कि यूसीबी ने कुछ तकनीकी मापदंडों पर गलती की है। “लेकिन हमने आरबीआई को सूचित किया है कि मुद्दों को अब ठीक कर दिया गया है”, उन्होंने जोर दिया।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी आरबीआई ने मेहसाणा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। यूसीबी को निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को अग्रिम देने से संबंधित आरबीआई के निर्देशों के उल्लंघन का दोषी पाया गया था लेकिन बैंक ने इससे कुछ नहीं सीखा।
मेहसाना अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना 23 अक्टूबर 1983 को हुई थी और यह गुजरात के प्रमुख यूसीबी में से एक है। 31 मार्च 2019 तक बैंक का 5359 करोड़ रुपये का डिपोजिट और 3667 करोड़ रुपये का एडवांस था। बैंक ने पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में 67.03 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।