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बजट पूर्व: जेटली से पहले दिनेश ने आय कर छूट की बात उठाई

राजग सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को आमंत्रित करके पूर्व बजट परामर्श शुरु कर दिया है जिससे कि लोग अपनी अपेक्षाओं को व्यक्त कर सकें. एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश ने सहकारी क्षेत्र के संबंध में लंबे समय से प्रतिक्षित मुद्दों में से कुछ को उठाने के लिए इस अवसर का इस्तेमाल किया.

10 मिनट के समय में उन्होंने सहकारी मुद्दों जैसे पैक्स का सुदृढ़ीकरण और आयकर और सेवा कर से छूट को उठाया. इसके अलावा विदेशी आय से सहकारी समितियों को लाभांश पर टैक्स के मुद्दे पर एक समान स्तर की पेशकश के मुद्दे को उठाना भी नहीं भूले.

श्री एम.एस. स्वामीनाथन ने कृषि उत्पादकता में वृद्धि का मुद्दा उठाया. लगभग 85 प्रतिशत किसानों छोटे और सीमांत हैं और अर्थव्यवस्था में कुछ हासिल करना केवल सहकारी खेती के माध्यम से संभव है. इसलिए डॉ. दिनेश प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को मजबूत बनाने पर जोर देते हैं.

“एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी और पैक्स को फसलोत्तर चरण की जानकारी प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया में शामिल होने की जरूरत है.

“पैक्स की व्यवहार्यता की बात करते समय आयकर छूट के बारे में बात करना पडा. डॉ. दिनेश ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 80पी अभिशाप बन गयी है. उत्पादन के छोटे अधिशेष को समितियों को में लगाने की जरूरत है न कि कर चुकता करने में.

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त, कृषि, व्यय, राजस्व सचिव और कई अन्य लोगों बैठक में उपस्थित थे. इसके अलावा सीबीडीटी के अध्यक्ष भी बैठक में मौजूद थे और वह आयकर छूट की वापसी के मद्देनजर सहकारी क्षेत्र के संकट की सुनवाई करना उनका पहला अनुभव था.

सहकारी प्रतिनिधि डा. दिनेश ने सहकारी क्षेत्र से सेवा कर हटाने की वकालत की. उन्होंने तर्क दिया कि सहकारिता को होटल या क्लब से अलग समझा जाना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा दी गई सेवाएं प्रशिक्षण और शिक्षा से संबंधित हैं.

इसके अलावा उन्होंने सहकारी समितियों की विदेशी आय पर टैक्स का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि विदेशी आय पर कॉर्पोरेट पर महज 15 फीसदी लाभांश लगाया जाता हैं, जबकि सहकारी समितियों पर सभी तर्क को धता बताकर 30 प्रतिशत कर लगाया जाता है. पाठकों को याद होगा कि इफको ने इस मुद्दे को कई बार उठाया गया है.

अन्त में उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मुद्दे को उठाया और मंत्रियों और सचिवों से छत्तीसगढ़ के उदाहरण को भारत के बाकी हिस्सों में दुहराने का आग्रह किया. छत्तीसगढ़ में पीडीएस सहकारी समितियों द्वारा सफलतापूर्वक चलाया जाता है. डॉ. दिनेश चाहते हैं कि केंद्र इस पीडीएस को पूरे भारत में पैक्स को सौंपने दे.

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