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Yara घोटाला: कृभको स्थिति स्पष्ट करे

भारत का सहकारिता जगत इस खबर से हैरान है कि वर्ष 2007 में कृभको और नॉर्वे के एक बड़े उर्वरक उत्पादक ‘यारा इंटरनेशनल’ के बीच एक संयुक्त उपक्रम को अंतिम रूप देते समय एक मिलियन अमरीकी डालर का भुगतान किया गया.  भारतीयसहकारिता.कॉम से बात करते हुए कृभको के अध्यक्ष बागची भाई पटेल ने कहा कि वह तथ्यों को इकट्ठा कर रहे हैं और दोषियों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.

संयोग से, बागची भाई 2007 में कृभको के बोर्ड के सदस्य थे.  उपाध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह यादव से संपर्क करने का प्रयास सफल नहीं हो सका. कृभको के प्रबंध निदेशक बी.डी. सिन्हा प्रेस से मिलने में संकोच कर रहे हैं.

पाठकों को पता होगा कि नॉर्वे की उर्वरक कंपनी यारा इंटरनेशनल वर्ष 2007 में भारत में कृभको के साथ एक संयुक्त उपक्रम में शामिल हुई.  इनका उद्देश्य उर्वरकों का उत्पादन तथा बिक्री था. प्रस्ताव बाद में वाणिज्यिक व्यवहार्यता की कमी के कारण हटा दिया गया था. लेकिन इससे पहले ही भारतीय मूल के कुछ “सलाहकार” एक मिलियन अमरीकी डालर पर हाथ साफ कर गए.

यारा ने मामले को यूरोपीय अपराध शाखा को सौंप दिया है जो जांच कर रही है और अपराधी के पकड़े जाने की उम्मीद है. लेकिन यह सोचना तार्किक लगता है कि कृभको के उच्च अधिकारियों को चीजों के बारे में पता है. सौभाग्य से अधिकारियों की टीम 2007 के बाद से नहीं बदली है.  उनके लिए यह उचित होगा कि दोषियों के नाम बता दें और मामला साफ हो जाए तथा कृभको की खोई छवि वापस मिल सके.

भारतीयसह्कारिता.कॉम ने यारा अंतर्राष्ट्रीय से भी नाम प्रकट करने का अनुरोध किया है.  उनकी प्रतिक्रिया आनी है.

 

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