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सहकारिता आधारित ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा; केंद्रीय मत्स्य सचिव ने रायगढ़ क्लस्टर की समीक्षा की

मछुआरों की आजीविका को सशक्त बनाने और सहकारी ढांचे को मजबूती देने के उद्देश्य से मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) के केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में मत्स्यपालन सहकारी क्लस्टर का दौरा किया।

उन्होंने क्लस्टर की प्रगति की समीक्षा की और 156 प्राथमिक मत्स्यपालन सहकारी समितियों तथा 9 मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) का प्रतिनिधित्व करने वाले 251 सदस्यों से सीधे संवाद किया।

डॉ. लिखी ने कहा कि सरकार सहकारी नेतृत्व वाले विकास के लिए प्रतिबद्ध है और मत्स्यपालन क्लस्टर की गतिविधियों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्यपालन अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी राष्ट्रीय योजनाओं के साथ जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग और सहकारिता मंत्रालय के बीच गठित संयुक्त कार्य बल देशभर की मत्स्य सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहा है।

उन्होंने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) को जिले की सभी तालुकाओं में प्रशिक्षण एवं शिकायत निवारण शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए ताकि योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक हितधारकों तक पहुंचे। उन्होंने हितधारकों से इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, बाजार संपर्क बढ़ाने और निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए नई रणनीतियां अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल हुए संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) सागर मेहरा ने कहा कि सतत विकास के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय आवश्यक है। वहीं संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्यपालन) सुश्री नीतू कुमारी ने बंदरगाह प्रबंधन के लिए विकसित हो रहे एसओपी पर जानकारी दी और बताया कि यह कार्य सहकारिता मंत्रालय, एनसीडीसी और अन्य एजेंसियों के सहयोग से किया जा रहा है।

एनएफडीबी के सीईओ डॉ. बी. के. बेहरा ने रायगढ़ में मत्स्यपालन की स्थिति और अगले पांच वर्षों के लिए नियोजित हस्तक्षेपों की रूपरेखा प्रस्तुत की। बैठक में जिला कलेक्टर किशन राव जावले, महाराष्ट्र के मत्स्यपालन आयुक्त किशोर तावड़े सहित विभिन्न मत्स्य सहकारी समितियों और वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

पीएमएमएसवाई के तहत रायगढ़ क्लस्टर को देश के अन्य 34 मत्स्य क्लस्टरों की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मत्स्यपालन और जलीय कृषि की पूरी मूल्य श्रृंखला को एकीकृत करना, उत्पादन से लेकर विपणन और निर्यात तक के संबंधों को सुदृढ़ करना और रोजगार सृजन व आय वृद्धि के अवसर पैदा करना है। यह पहल ‘सहकार से समृद्धि’ और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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