
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एकीकृत ओम्बड्समैन योजना, 2021 के दायरे का विस्तार करते हुए अब राज्य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक को भी इसमें शामिल करने की घोषणा की है। यह निर्णय 1 नवंबर 2025 से प्रभावी होगा।
यह कदम 1 अक्तूबर 2025 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों के वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुरूप है। रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह अधिसूचना जारी की है।
इस विस्तार के बाद योजना के तहत अब सभी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राज्य एवं केंद्रीय सहकारी बैंक, अनुसूचित और गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक (जिनकी जमा राशि 50 करोड़ रुपये या अधिक है), तथा 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक आस्ति वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों को छोड़कर) शामिल होंगी। इसके अतिरिक्त, साख सूचना कंपनियां और अन्य प्रणालीगत प्रतिभागी भी इसके दायरे में आएंगे।
रिज़र्व बैंक के इस निर्णय का स्वागत करते हुए नेफस्कॉब के अध्यक्ष के. रविंदर राव ने कहा, “यह एक सराहनीय और समयानुकूल कदम है। सहकारी बैंकों के ग्राहकों के मन में कुछ भ्रम और अनिश्चितता थी, जो अब दूर हो जाएगी। यह निर्णय ग्राहकों के भरोसे को मजबूत करेगा। हमारे लिए जमाकर्ता सर्वोपरि हैं, और यह कदम उनके हित में है।”
इस निर्णय से सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और ग्राहक संरक्षण को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।