
देश के सहकारी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल के तहत केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह 24 जुलाई 2025 को राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का औपचारिक अनावरण करेंगे।
यह कार्यक्रम राजधानी दिल्ली के अटल अक्षय ऊर्जा भवन में आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर सहकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी), वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वेमनीकॉम) के प्रतिनिधि, और विभिन्न राष्ट्रीय सहकारी संघों के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मौजूद रहेंगे।
यह नई नीति आगामी दो दशकों (2025–2045) तक भारत के सहकारी आंदोलन को दिशा देने का कार्य करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और अमित शाह के मार्गदर्शन में तैयार की गई यह नीति “सहकार से समृद्धि” के विजन को साकार करने के उद्देश्य से सहकारी क्षेत्र को आधुनिक, सशक्त और पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में देश की पहली राष्ट्रीय सहकारिता नीति जारी की गई थी। तब से लेकर अब तक, वैश्वीकरण, तकनीकी नवाचार और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों ने सहकारी क्षेत्र की चुनौतियों और संभावनाओं को पूरी तरह बदल दिया है। ऐसे में 20 वर्षों के अंतराल के बाद लाई जा रही यह नीति आज के संदर्भ में अधिक प्रासंगिक और आवश्यक मानी जा रही है।
नई नीति का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को समावेशी बनाने, उनके प्रबंधन को पेशेवर रूप देने, उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार व आजीविका के अवसर सृजित करने पर केंद्रित है। यह नीति सहकारी संस्थाओं को ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य में महत्वपूर्ण भागीदार बनाएगी।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का प्रारूप पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में गठित 48 सदस्यीय समिति द्वारा तैयार किया गया है। समिति में राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सहकारी संघों के प्रतिनिधि, संबंधित मंत्रालयों व विभागों के अधिकारी, सहकारी समितियों के सदस्य और शिक्षाविद शामिल थे।
इस नीति निर्माण प्रक्रिया में व्यापक परामर्श और सहभागिता सुनिश्चित की गई। समिति ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना में 17 बैठकें और 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं, जिसमें हितधारकों से प्राप्त कुल 648 सुझावों का मूल्यांकन कर उन्हें अंतिम नीति दस्तावेज में शामिल किया गया।
नई सहकारिता नीति न केवल सहकारी क्षेत्र के लिए एक दिशा-सूचक दस्तावेज साबित होगी, बल्कि यह भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने वाला एक मजबूत स्तंभ भी बनेगी।