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सांस्कृतिक-आध्यात्मिक जड़ों से जुड़ा है असम का सहकारी आंदोलन: गुर्जर

असम सरकार के सहकारिता विभाग द्वारा भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के मार्गदर्शन में आयोजित चौथे सहकारिता मेला 2025 का उद्घाटन गुवाहाटी के चांदमारी स्थित एईआई ग्राउंड में किया गया। यह तीन दिवसीय मेला 13 से 15 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य असम में सहकारिता आंदोलन की शक्ति, विविधता और संभावनाओं को प्रदर्शित करना है।

मेले का औपचारिक उद्घाटन भारत सरकार के केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने असम सरकार के सहकारिता मंत्री जोगेन मोहन की उपस्थिति में किया।

इस अवसर पर मेले को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि असम में सहकारिता आंदोलन राज्य की गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का स्वाभाविक विस्तार है। उन्होंने महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव और महापुरुष माधवदेव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि एकता, समानता और समाज सेवा पर आधारित उनकी शिक्षाएं ही सहकारिता की भावना की मूल आधारशिला हैं।

गुर्जर ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में “सहकार से समृद्धि” की राष्ट्रीय परिकल्पना आज सशक्त वास्तविकता में बदल रही है। उन्होंने वर्ष 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना को ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि इससे वर्ष 2047 तक एक विश्वस्तरीय सहकारिता प्रणाली के निर्माण के लिए स्पष्ट रोडमैप मिला है।

उन्होंने असम में सहकारिता क्षेत्र में हो रहे तीव्र सुधारों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के गतिशील नेतृत्व और सहकारिता मंत्री जोगेन मोहन के प्रयासों को इसका श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि प्रभावी क्रियान्वयन के चलते असम राष्ट्रीय सहकारिता पहलों में अग्रणी बनकर उभरा है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के 100 प्रतिशत कंप्यूटरीकरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जहां 800 से अधिक पैक्स ने नए मॉडल उपविधियों को अपनाया है। इससे युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ उद्यमिता को बढ़ावा मिला है और 32 लाख से अधिक सदस्यों को वित्तीय समावेशन का लाभ मिला है।

उन्होंने कहा कि असम अब राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के तहत वर्ष 2026 तक प्रत्येक गांव में एक सहकारी संस्था स्थापित करने के लक्ष्य की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

इस अवसर पर असम सरकार के सहकारिता मंत्री जोगेन मोहन ने कहा कि यह मेला जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण का एक सशक्त मंच है। उन्होंने प्रतिभागी सहकारी संस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर अपशिष्ट को उपयोगी उत्पादों में बदलना आत्मनिर्भरता और नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण है।

उन्होंने बताया कि सहकारी संस्थाएं आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन से लेकर महिला स्वयं सहायता समूहों और युवाओं की सफलता तक, समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ पहुंचा रही हैं।

मेले में 160 सहकारी संस्थाएं भाग ले रही हैं, जो हथकरघा, मत्स्य पालन, डेयरी, कृषि तथा महिला एवं युवा-नेतृत्व वाले उद्यमों जैसे प्रमुख क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। यह मेला स्थानीय उत्पादों, नवाचारों और सहकारिता की सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करने का एक प्रभावी मंच प्रदान कर रहा है।

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