
जमा बीमा एवं क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 17 बैंकों का डीआईसीजीसी पंजीकरण रद्द किया गया, जिनमें 15 सहकारी बैंक और 2 वाणिज्यिक बैंक शामिल हैं।
आंध्र प्रदेश से उत्तर प्रदेश तक कई सहकारी बैंकों ने अपनी सदस्यता खोई, जिसमें महाराष्ट्र अकेले पांच बैंकों के साथ सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहा।
सदस्यता खोने वाले प्रमुख बैंक हैं- उरवकोंडा को-ऑपरेटिव टाउन बैंक और दुर्गा को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक (आंध्र प्रदेश), महाभैरब को-ऑप अर्बन बैंक (असम), वैषाली शहरी विकास को-ऑप बैंक (बिहार), सिटिजन को-ऑप बैंक (गोवा), नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक, बैंगलोर (कर्नाटक), तथा महाराष्ट्र के सिटी को-ऑप बैंक, राजापुर सहकारी बैंक, अंजंगांव सूरजी नागरी सहकारी बैंक, पुणे कमर्शियल को-ऑप बैंक और जॉवाहर सहकारी बैंक।
इससे कुल पंजीकृत बैंकों की संख्या 31 मार्च 2025 तक 1,982 रह गई, जो पिछले वर्ष 1,997 थी। सहकारी बैंक भारत के वित्तीय समावेशन में अब भी महत्वपूर्ण हैं। कुल 1,982 पंजीकृत संस्थाओं में 1,843 (93%) सहकारी बैंक हैं, जिनमें 1,458 अर्बन को-ऑप बैंक, 34 स्टेट को-ऑप बैंक और 352 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक शामिल हैं।