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पवार के पत्र पर मराठे बोले “राजनीतिक स्टंट”

शरद पवार के पत्र पर दृढ़ता से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, सहकार भारती के संस्थापक सदस्यों में से एक सतीश मराठे ने कहा कि पवार द्वारा सहकारी बैंकों के संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखना केवल एक राजनीतिक स्टंट है।

हालांकि पवार ने अपने पत्र के माध्यम से लाल किले के प्राचीर से सहकारी समितियों का उल्लेख करने के लिए पीएम मोदी को बधाई दी लेकिन कहा कि सहकारी बैंक के लिए अध्यादेश का उद्देश्य देश में सहकारी सेक्टर का निजीकरण करना है। बता दें कि एमएससी बैंक के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर भी काफी समय से अध्यादेश को सहकारी बैंकिंग क्षेत्र का निजीकरण बता रहे हैं।

पवार को उनके कार्यकाल और सहकारी सेक्टर संबंधी उनकी गतिविधियों की याद दिलाते हुए मराठे ने कहा, “जब शरद पवार 10 साल तक केंद्र सरकार में थे, तो वह स्वयं को-ऑप्स को लिमिटेड कंपनी, ट्रस्ट, आदि में बदलने की कोशिश कर रहे थे।”

इस तरह के मामलों का हवाला देते हुए मराठे ने कहा कि यह सहकार भारती थी जिसने पवार का जोरदार विरोध किया था। “संसद में, यह धर्मेंद्र प्रधान थे जो सीपीएम के साथ पवार का विरोध करने में सबसे आगे थे”, मराठे ने याद किया।

बात को स्पष्ट करते हुए सतीश मराठे ने कहा कि सहकार भारती के संस्थापक सदस्य के रूप में यह उनके अपने विचार हैं।

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