इफकोविशेष

इफको बोर्ड ने अवस्थी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया

इफको बोर्ड अपने दिल्ली स्थित मुख्यालय में बुधवार को बोर्ड द्वारा अपने प्रबंध निदेशक और उनके सहयोगी को दिए गए घर को उनके द्वारा पुनः लौटाने के मामले पर बैठक की।

बोर्ड के निदेशकों ने उत्तेजित होकर कहा कि यह पूरी तरह से एक कानूनी कार्य है जिसे न केवल बोर्ड द्वारा बल्कि वार्षिक आम बैठक के द्वारा अनुमोदित किया गया था।

बैठक के बाद भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए कई निदेशकों ने सहकारी समितियों के संप्रभुता के मुद्दे पर एक मत होकर लड़ने की कसम खाई।

नाराज एमडी श्री यू. एस. अवस्थी ने इफको के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने उपहार में दिए गए घर को लौटाने की बात कही थी, इस पर मीडिया में काफी शोर मचा था।

भारतीय सहकारिता से बात करते हुए इफको में वरिष्ठ निदेशक श्री शिशपाल ने कहा कि पूरे बोर्ड ने एक सुर में एमडी के प्रस्ताव को अस्वीकार करने का फैसला किया है। हमारे प्रबंध निदेशक और संयुक्त प्रबंध निदेशक के लिए उपहार में घर देने का निर्णय एक व्यक्ति का फैसला नहीं था।

यह किसी भी तरह से जल्दबाजी में लिया गया फैसला भी नही था। हमने देश में मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के लिए भुगतान किया जा रहे वेतन और भत्तों का अध्ययन किया है और बोर्ड ने कहा है कि हम उन्हें कुछ भी भुगतान नही कर रहे हैं।

इस मुद्दे पर शिशपाल ने कहा कि जहाँ कम सफल एमडी लोगों को 45 करोड़ रुपये की वार्षिक औसत पैकेज दिया जा रहा है, वहीं इफको के प्रबंध निदेशक को एक करोड़ रुपए तक नहीं मिल रहा है।

अन्य निदेशकों ने भी सरकार का सहकारी मामलों में हस्तक्षेप करने के खिलाफ दृढ़ता से विरोध किया और वो भी तब जब 97वें संविधान संशोधन के बाद सहकारी क्षेत्रने पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त कर ली है, देहरादून से एक और निदेशक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा।

“किसी भी व्यवस्थापक को सहकारी में नियुक्त नही किया जा सकता है और इफको का मामला कई अर्थों में खास है क्योंकि इफको को न तो सरकार को और न ही किसी भी अन्य वित्तीय संस्थानों को एक चवन्नी भी देना है। इफको सहकारी दुनिया में सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है और यहाँ लोग उसके एमडी को बेईज्जत करने की कोशिश कर रहे है, नाम न छापने की शर्त पर एक और निदेशक ने कहा।

निदेशकों ने श्री अवस्थी की उपलब्धियों का उल्लेख किया और यह सब तब हुआ जब वे 1992 में इफको के एमडी हुए, तब से उत्पादन और लाभ में अभूतपूर्व वृद्धि हुई और इफकों एक ऐसा ब्रांड बना जिससे कॉर्पोरेट्स दुनिया भी डरने लगी, एक निदेशक ने कहा।

इससे पहले, मंगलवार को पूरा इफको बोर्ड शरद पवार, केंद्रीय कृषि मंत्री से मिला। निदेशकों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार और मीडिया बिना वजह उनके पीछे पड़ी हुई है।

श्री पवार ने कथित तौर पर बोर्ड की संप्रभुता का समर्थन किया है।

बोर्ड की बैठक में सभी 29 निदेशक शामिल थे जिनमें निर्वाचित और कार्यात्मक निदेशकों ने भाग लिया। बोर्ड 30 मई को होनेवाली वार्षिक आम बैठक के सामने पबरे मामले को रखने का फैसला किया है।

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