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IYC : अवस्थी सहकारिता-विनिमय के पक्ष में

अंतरराष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन का उद्घाटन सत्र गत बुधवार को  नई दिल्ली के मानेकशॉ केंद्र में योजनानुसार सुचारु रूप से सम्पन्न हो गया.  इस अवसर पर सहकारिता से जुडे देश-विदेश के गणमान्य लोग उपस्थित हुए.

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल, केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, राज्य मंत्री हरीश रावत, विदेशी प्रतिनिधियों और इफको के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मंच की शोभा बढा रहे थे.

प्रमुख वक्ताओं ने सहकारी आंदोलन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला.  नाबार्ड के अध्यक्ष प्रकाश बक्शी ने आंदोलन की तुलना पेड़ से की जिसकी शाखाएं बढ रहीं हैं जबकि इसकी जड़ पोषण के लिए संघर्ष कर रही है.  NCUI के अध्यक्ष ने कार्पोरेट शासन की तुलना में सहकारी शासन के लाभों का बखान किया. विदेशी प्रतिनिधियों ने अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों को साझा किया. आईसीए के अध्यक्ष डेम पाउलीउ ग्रीन की अनुपस्थिति खल रही थी. इफको के सूत्र बता रहे थी कि वीसा न मिलने के कारण उनका कार्यक्रम रद्द हो गया.

इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक यू.एस. अवस्थी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में घोषित करने के बाद इस सम्मेलन के आयोजन की आवश्यकता महसूस की गई. उन्होंने कहा कि वह आंदोलन का समर्थन करते हैं क्योंकि इससे इन्हें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर बढ़ने में मदद मिलती है.

कनाडा में इफको के विस्तार का उदाहरण देते हुए अवस्थी ने कहा कि कनाडा के सहकारी नेता हमारे व्यापार में साझेदारी और हमारे लिए शक्ति का एक स्रोत बनने के लिए आगे आए. उल्लेखनीय है कि इफको कनाडा मे एक नई परियोजना लाने वाली है.  जार्डन में भी हमारे अनुभव वैसे ही है जहां हमारी परियोजना ठीक काम कर रही है. भारत में भी हम सबके सहयोग के बल पर चल रहे हैं जहां हजारो कोआपरेटर्स इसे सफल बनाने के लिए इसमें शामिल हो गए है, उन्होंने कहा.

देश में सहकारी आंदोलन की कमजोरियों की गणना करते हुए श्री अवस्थी ने सेबी की तर्ज पर एक सहकारी विनिमय की स्थापना पर जोर दिया. निजी क्षेत्र का अपना विनिमय है. सार्वजनिक क्षेत्र को सरकार से धन मिलता है लेकिन सहकारी क्षेत्र अधिकांश मामलों में पूंजी की कमी से संकट में है , उन्होंने कहा.

देश के सहकारी नेताओं, जिन्होंने इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सहयोग दिया, की प्रशंसा करते हुए अवस्थी ने कहा कि एक नेता का कार्य है कि वह एक उत्प्रेरक के रूप में काम करे तब आंदोलन अपने-आप ही विकसित होता रहेगा.

राष्ट्रपति के आगमन के कारण  केन्द्र के आसपास उच्च सुरक्षा का घेरा था और उनके आने के बहुत पहले ही प्रवेश रोक दिया गया था. इससे कई लोगों को बहुत परेशानी हुई और कुछ लोग निराशा के साथ लौट गए.

दो दिवसीय समारोह का अंतिम सत्र आज NCUI के सभागार में है .

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