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सहकारी समितियों में कोई संघर्ष नहीं: भटोल, जीसीएमएमएफ

जीसीएमएमएफ के चेयरमैन श्री पारथी भटोल इस बात से खुश हैं कि वे गुजरात की सीमाओं के बाहर से दूध की खरीद में सफल हुए हैं.  Indiancooperative.com से बात करते हुए श्री भटोल ने कहा कि भारी कमी के कारण अमूल को अन्य राज्यों से दूध खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा.

जीसीएमएमएफ, जो अमूल ब्रांड के उत्पादों का विपणन करता है, अन्य राज्यों की सहकारी समितियों से दूध खरीद कर किसानों को उचित मुल्य दिलाने में मदद करना चाहता है और उपभोक्ताओं को अमुल ब्रांड के अंतर्गत गुणवत्ता वाला दूध उपलब्ध कराना चाहता है.  “हमने यह योजना शुरू की है क्योंकि निजी डेयरी वाले अमुल की तरह गुणवत्त नहीं बनाए रखते हैं. उपभोक्ताओं को खराब दूध के कारण नुकसान उठाना पड़्ता है. अमूल की उपस्थिति के कारण चीजें सुधर जाएंगी”, श्री भटोल ने कहा.

अमूल भारत में दूध का सबसे बड़ा वितरक है. लेकिन यह सहकारिता आन्दोलन का नेतृत्व नहीं कर सकता क्योंकि संबंधित राज्यों की स्थानीय सहकारी समितियां बाजार में अमूल के प्रवेश पर आपत्ति कर सकती हैं.  श्री भटोल ने कहा कि उन्हें कोई टकराव नही दिखाई पड़ता क्योंकि अमुल के अलावा अन्य कई निजी डेयरी वाले भी बिना किसी मनमुटाव के गुजरात में सक्रिय हैं.  “MMPO (एक प्रावधान जिसके तहत कार्य का क्षेत्र निर्दिष्ट किया जाता है) जब तक सक्रिय था हर को-ऑपरेटिव अपने क्षेत्र तक सीमित था.  लेकिन अब कोई भी कहीं से भी इच्छानुसार दुध खरीद सकता है”, भटोल ने कहा.

जब भारतीयसहकारिता.कॉम ने भारत में डेयरी व्यवसाय में Fonterra-Ifffco के धावा पर भटोल की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा, तो उन्होने कहा कि वे नए खिलाड़ियों का स्वागत करते हैं. “प्रतियोगिता आज भी है. नेस्ले, जय भोला और अन्य निजी खिलाड़ी हैं. प्रतियोगिता अच्छी होती है क्योंकि इससे अधिक से अधिक सुधरने का मौका मिलता है”, भटोल ने कहा.

अमूल ने इस वित्तीय वर्ष में 9,700-800 करोड़ रुपये से अधिक का करोबार हासिल किया है.

इसकी योजना भविष्य में अमूल के उत्पाद को देश के दूरस्थ हिस्से में उपलब्ध कराने की  है.  लेकिन इसमें बहुत बड़े प्रयास और बड़े पैमाने पर नेटवर्क की आवश्यकता होगी. जीसीएमएमएफ के चेयरमैन ने कहा कि हम धीरे धीरे बढ़ रहे हैं और हमें अपनी मौजूदगी देश भर में महसूस होने की उम्मीद है.

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