कृभको ने दिल्ली स्थित एनसीयूआई सभागार में आयोजित अपनी 39वें वार्षिक आम बैठक के अवसर पर “सहकारिता विभूषण” और “सहकारिता शिरोमणि” पुरस्कार से क्रमशः मगनलाल प्रेमजीभाई घोनीया और रमजान अंसारी को सम्मानित किया।
घोनीया राजकोट (गुजरात) से हैं, जबकि अंसारी भभुआ (बिहार) से आते हैं। ये दोनों व्यक्ति कृभको के आभारी थे और पुरस्कारों को आम सहकारी-संचालकों को समर्पित किया। उन्होंने कहा, “यह उनकी पहचान है।”
व्यापक रूप से यात्रा करने वाले व्यक्ति अंसारी ने अपना जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया है। इस अवसर संचालक ने उनके बारे में बताया कि वह एक ऐसे नेता हैं जो उपभोक्ता सहकारी, आवास सहकारी और अन्य में विभिन्न पदों पर रहकर समाज की सेवा करने का शौक रखते हैं।
पुरस्कार प्राप्त करते समय अंसारी भावुक हो गए और सुनील सिंह, कृभको उपाध्यक्ष और इसके अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह दोनों के लिए “जय हो” से उद्गार व्यक्त किया। “अगर यह कृभको के अध्यक्ष के रूप में चंद्र पाल सिंह के अलावा कोई और होता तो मुझे यह पुरस्कार नहीं मिलता। मैं विनीत हूँ और उनकी सहकारिता की भावना को प्रणाम करता हूँ जो पार्टी लाइन से हटकर है”, अंसारी ने तारीफ की।
संयोग से, अंसारी भी बिस्कोमान की बोर्ड पर हैं, जबकि सुनील सिंह इसके अध्यक्ष हैं। राज्य के सहकारिता कर्मियों ने अंसारी का नाम सुझाने के लिए सुनील का धन्यवाद किया, जिन्हें इस क्षेत्र में सहकारी आंदोलन का सच्चा सिपाही माना जाता है।
एक भावुक सहकरीता-संचालक घोनिया ने 1991 के दौरान “देवचड़ी तेल बीज निर्माता सहकारी सोसायटी” की स्थापना की। घोनीया कई सहकारी समितियों के अध्यक्ष रहे, जैसे शिवराजगढ़ जूट सेवा सहकारी मंडली; निदेशक, राजकोट जिला सहकारी बैंक व अन्य।
घोनिया को गायों की रक्षा के लिए एक ट्रस्ट स्थापित करने का श्रेय भी दिया जाता है। ट्रस्ट 100 से अधिक देसी गायों की देखभाल करता है और जरूरतमंद लोगों को दूध और घी वितरित करता है।
पिछले साल, कृभको ने सहकारिता विभूषण