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शहरी सहकारी बैंक माफियाओं के शिकार

सहकारी बैंकों सहित विभिन्न बैंकों से काले धन को वैध करने के बारे में खुलासे होते रहते है। लेकिन सीबीआई ने हाल ही में चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन किया है कि कथित तौर पर शहरी सहकारी बैंक देश भर में काले धन को वैध करने में बड़े पैमाने पर शामिल रहे है। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट “सीबीआई के जाल में शहरी सहकारी बैंक” ने इस संबंध में जांच एजेंसी के काम के बारे में विस्तार में जानकारी दी है।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि बेईमान नेताओं ने अपने हजारों करोड़ों रुपए के काले धन को सफेद करने के लिए देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में स्थित सहकारी बैंकों का इस्तेमाल किया है। सीबीआई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार काले धन को फर्जी खातों के माध्यम से वैध किया जाता है।

सूत्रों का कहना है इस प्रकार से राजनेताओं द्वारा सफेद किए गए काले धन की विशाल राशि को आसानी से देश में लोकतांत्रिक मानदंडों और प्रक्रियाओं को बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने गोपनीयता के आधार पर जानकारी साझा करने से मना किया है। लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स को लगता है कि धोखाधड़ी या बैंकों द्वारा दिशा निर्देशों के उल्लंघन के मामलों पर जानकारी को खुफिया जानकारी के रूप में साझा किया जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक पर आरोप है कि इनके पास दोषी बैंकों की पर्याप्त जानकारी होने के बावजूद वह कार्रवाई करने में धीमी रहे है। कोबरा पोस्ट ने कुछ संदिग्ध बैंकों की गतिविधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी दी थी, सूत्रों का दावा है।

उल्लेखनीय है कि देश भर में ऐसी घटनाएँ और शहरी सहकारी बैंकों द्वारा नियमों का उल्लंघन विशेष रूप से खतरनाक हैं। लगभग दो हजार शहरी सहकारी बैंकों में 2 लाख करोड़ रुपए जमा है।

इससे पहले रिजर्व बैंक ने इस मामले में आईबी द्वारा दी गई खुफिया जानकारी के आधार पर काले धन को वैध करने के लिए उत्तर प्रदेश में भारतीय मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की थी। हालांकि हाल में भारतीय रिजर्व बैंक स्वयं ऋण की फाइल का निरीक्षण करके और बैंकों द्वारा बैंकिंग दिशा निर्देशों के उल्लंघन का सावधानी से निरीक्षण कर रही है।

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