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एनसीयुआई: सहकारी आंदोलन कभी असफल नहीं होगा

संयुक्त राष्ट्र संघ का मानना है कि कृषि सहकारी समितियाँ पूरी दुनिया को खिलाने के लिए एक कुंजी है। मैं सहकारी क्षेत्र की ओर से संयुक्त राष्ट्र को विश्वास दिलाता हूं कि सहकारी आंदोलन कभी असफल नहीं होगा, डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने मंगलवार को दिल्ली के एनसीयुआई सभागार में विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर कहा।

सहकारिता एक ऐसा अनूठा उपकरण है जो कि हर गांव में प्रवेश करके हर आदमी के पहुँच में होता है। भारत में 6 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ है जिसमें करीब 25 करोड़ लोग शामिल है, चन्द्र पाल ने कहा। सहकारी समितियाँ जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय है और वे संयुक्त राष्ट्र की उम्मीदों पर खरे उतर  सकते हैं, उन्होंने कहा।

सहकारिता किसानों को सस्ता ऋण और कृषि से संबंधित चीजें प्रदान कर ग्रामीण क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। गुजरात जैसे राज्यों में किसानों को सहकारी समितियों से बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जा रहा हैं। अन्य राज्यों में ब्याज की दर 1-2 प्रतिशत है। कई राज्य तो सहकारी समितियों का उपयोग करके सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चला रहे है।

संयुक्त राष्ट्र संघ (आईएफयूएनए) के उपाध्यक्ष शेषाद्रि चारी ने देश में अति प्राचीन काल से कृषि के क्षेत्र में चली आ रही सहकारिता की परंपरा को याद किया।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्यों (एमडीजी) में से भूख को हटाना प्रमुख है। खाद्य सुरक्षा वल्लभभाई पटेल का सपना था। 

केन्द्रीय राज्य मंत्री हरीश रावत ने कहा कि 121 करोड़ लोगों को खिलाने का काम कोई मामूली काम नही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि खाद्य उत्पादन भविष्य में जनसंख्या में वृद्धि के साथ तालमेल भी रख सकता है। लेकिन उसके लिए उन्होंने उचित वितरण और सहकारी समितियों को इसके अंदर कदम रखने के लिए कहा।

खाद्य सुरक्षा की अवधारणा को हकीकत में बदलने के लिए राष्ट्रीय आम सहमति जरूरी है और इसलिए राज्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, मंत्री ने कहा।

अन्य प्रतिभागियों में एफएओ के प्रतिनिधि पीटर ई केनमोर, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमएस गिल, आईसीए के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. चान हो चोई, डॉ. वी.वी. सदामते और एनसीयुआई के मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश शामिल थे।

श्री केनमोर ने कहा कि एफएओ दुनिया से भूख को हटाने के काम में स्वाभाविक सहयोगी के रूप में कृषि सहकारी समितियों को देखता है। कहने का मतलब यह है कि क्या हम अपनी जरूरतों के लक्ष्यों को इस माहौल में प्राप्त करने के लिए सक्षम है, उन्होंने कहा। श्री गिल ने कहा कि हमें खाद्य और जनसंख्या विस्फोट पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

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