ताजा खबरें

देश में 6.56 लाख से सहकारी संस्थाएं सक्रिय, 48,537 लिक्विडेशन में

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि देशभर में वर्तमान में 6.56 लाख से अधिक सहकारी समितियां सक्रिय हैं, जबकि 1.39 लाख सहकारी समितियां निष्क्रिय हैं और 48,537 समितियां परिसमापन की प्रक्रिया में हैं। यह जानकारी 15 नवंबर 2025 तक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर दी गई है।

लोकसभा में एक लिखित उत्तर में राज्यवार विवरण प्रस्तुत करते हुए मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र लगभग 2.17 लाख सक्रिय सहकारी समितियों के साथ देश में शीर्ष स्थान पर है। इसके बाद गुजरात (78,215), तेलंगाना (48,186), कर्नाटक (40,231) और मध्य प्रदेश (27,370) का स्थान है। वहीं राजस्थान में 25,491, पश्चिम बंगाल में 22,952 और उत्तर प्रदेश में 22,724 सक्रिय सहकारी समितियां कार्यरत हैं।

निष्क्रिय सहकारी समितियों के मामले में मध्य प्रदेश (18,423), उत्तर प्रदेश (17,180), राजस्थान (13,419) और तेलंगाना (12,297) प्रमुख हैं। वहीं परिसमापन के अंतर्गत आने वाली सहकारी समितियों की संख्या हरियाणा (16,378) और मध्य प्रदेश (8,852) में अधिक दर्ज की गई है।

मंत्री ने बताया कि लक्षद्वीप, लद्दाख, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह तथा दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव जैसे छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सहकारी समितियों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है, हालांकि इनमें से कई समितियां निष्क्रिय या परिसमापन की स्थिति में हैं।

अमित शाह ने आगे कहा कि बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) अधिनियम एवं नियम, 2023, जिसे अगस्त 2023 में अधिसूचित किया गया, का उद्देश्य सहकारी समितियों में सुशासन को मजबूत करना, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना तथा चुनावी प्रक्रिया में सुधार करना है। यह अधिनियम 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप है।

इस अधिनियम के तहत सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण की स्थापना, सहकारी लोकपाल की नियुक्ति, सूचना अधिकारियों के माध्यम से अनिवार्य खुलासे, कठोर लेखा परीक्षा और लेखांकन मानक, ऋण सहकारी समितियों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड, भाई-भतीजावाद पर रोक, निदेशकों की अयोग्यता के अतिरिक्त आधार और निर्धारित कोरम मानदंडों के माध्यम से लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को मजबूत करने जैसे प्रावधान किए गए हैं।

इसके अलावा, केंद्रीय रजिस्ट्रार को धोखाधड़ी या अवैध गतिविधियों की जांच करने तथा गलत प्रस्तुतीकरण या धोखाधड़ी के मामलों में परिसमापन की कार्रवाई शुरू करने का अधिकार भी प्रदान किया गया है।

क्षमता निर्माण पर जोर देते हुए मंत्री ने बताया कि सहकारी क्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है, जहां उन्नत, व्यावहारिक प्रबंधन और डिजिटल कौशल का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

मंत्री ने यह भी बताया कि 8 मार्च 2024 को शुरू किया गया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस देशभर की 8.4 लाख से अधिक सहकारी समितियों की जानकारी का एकल मंच प्रदान करता है और इसका उपयोग सहकारी कवरेज में मौजूद कमियों की पहचान के लिए किया जा रहा है।

इसके अलावा, सरकार प्राथमिक कृषि ऋण समितियों, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को बहुउद्देशीय सहकारी समितियों में परिवर्तित कर रही है, दो लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का गठन किया जा रहा है और जहां संभव हो वहां निष्क्रिय समितियों का परिसमापन किया जा रहा है। साथ ही, संकटग्रस्त बहु-राज्य सहकारी समितियों के पुनरुद्धार और अवसंरचना विकास के लिए सहकारी पुनर्वास, पुनर्निर्माण एवं विकास कोष की भी स्थापना की गई है।

Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close