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पिछले पाँच वर्षों में सहकारी बैंकों को नाबार्ड से मिला मजबूत पुनर्वित्त समर्थन

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा को बताया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने ग्रामीण ऋण प्रवाह को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पिछले पाँच वित्तीय वर्षों के दौरान देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सहकारी बैंकों को महत्वपूर्ण पुनर्वित्त सहायता प्रदान की है।

एक लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा कि नाबार्ड ने राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी), राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एससीएआरडीबी), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा अन्य ग्रामीण ऋण संस्थानों को दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों प्रकार का पुनर्वित्त उपलब्ध कराया है।

उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य सहकारी बैंकों को दीर्घकालिक पुनर्वित्त वर्ष 2020-21 में 6,199.96 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 11,453.71 करोड़ रुपये तथा 2022-23 में 12,955.13 करोड़ रुपये हो गया। यह राशि 2023-24 में और बढ़कर 17,113.97 करोड़ रुपये तक पहुंची, जबकि 2024-25 में यह 12,281.54 करोड़ रुपये रही।

वहीं, राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों को वर्ष 2023-24 में नाबार्ड द्वारा 2,100.65 करोड़ रुपये और 2024-25 में 2,578.41 करोड़ रुपये का दीर्घकालिक पुनर्वित्त प्रदान किया गया।

लिखित उत्तर में राज्य सहकारी बैंकों को दी गई अल्पकालिक पुनर्वित्त सहायता का भी उल्लेख किया गया। नाबार्ड ने वर्ष 2020-21 में 1.08 लाख करोड़ रुपये का अल्पकालिक पुनर्वित्त वितरित किया, जो 2021-22 में बढ़कर 1.34 लाख करोड़ रुपये तथा 2022-23 में 1.35 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह राशि 2023-24 में 1.61 लाख करोड़ रुपये और 2024-25 में 1.73 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

हालांकि 2024-25 में राज्य सहकारी बैंकों को दी गई दीर्घकालिक पुनर्वित्त राशि 2023-24 की तुलना में कम रही, लेकिन इसी अवधि में अल्पकालिक पुनर्वित्त सहायता में वृद्धि दर्ज की गई।

सरकार के अनुसार, नाबार्ड सहकारी बैंकों को कृषि और ग्रामीण ऋण उपलब्ध कराने में सक्षम बनाने के लिए शॉर्ट टर्म को-ऑपरेटिव क्रेडिट फंड (एसटीसीआरसी) और लॉन्ग टर्म रूरल क्रेडिट फंड (एलटीआरसीएफ) जैसे समर्पित कोषों का संचालन करता है।

इसके अलावा, नाबार्ड के अंतर्गत ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष (आरआईडीएफ), दीर्घकालिक सिंचाई कोष (एलटीआईएफ), वेयरहाउस अवसंरचना कोष (डब्ल्यूआईएफ) और खाद्य प्रसंस्करण कोष (एफपीएफ) जैसे कई कोष स्थापित किए गए हैं, जिनका उद्देश्य दीर्घकालिक ग्रामीण अवसंरचना एवं ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को समर्थन प्रदान करना है।

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