
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में लिखित उत्तर में जानकारी दी कि 25 नवंबर 2025 तक सहारा समूह की चार बहु-राज्य सहकारी समितियों के 35,24,966 जमाकर्ताओं को 6,841.86 करोड़ रुपये का भुगतान सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से किया जा चुका है।
यह प्रक्रिया 29 मार्च 2023 के सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक आदेश के अनुरूप है, जिसमें “सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट” से 5,000 करोड़ रुपये को केंद्रीय सहकारिता रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को वास्तविक जमाकर्ताओं को वापसी के लिए हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया था।
रिफंड प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. सुबाष रेड्डी कर रहे हैं, जबकि गौरव अग्रवाल, अमिकस क्यूरी के रूप में सहायता प्रदान कर रहे हैं।
18 जुलाई 2023 को लॉन्च किए गए सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी (लखनऊ), सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपरपज़ सोसाइटी (भोपाल), हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी (कोलकाता) और स्टार्स मल्टीपरपज़ कोऑपरेटिव सोसाइटी (हैदराबाद) के जमाकर्ता डिजिटल रूप से दावा दर्ज कर सकते हैं।
सत्यापन के बाद प्रति जमाकर्ता 50,000 रुपये तक की राशि सीधे आधार-लिंक्ड बैंक खातों में भेजी जाती है।
शाह ने बताया कि आवेदन पूरी पारदर्शिता के साथ निर्धारित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत संसाधित किए जाते हैं। जिन दावों में कमी पाई जाती है, उन्हें 15 नवंबर 2023 को शुरू किए गए “री-सबमिशन पोर्टल” के माध्यम से सुधारने का अवसर दिया जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने रिफंड पूरा करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 दिसंबर 2026 कर दी है, जिससे सभी वास्तविक दावों का निपटारा करने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2010 से 2014 के बीच सहारा समूह ने कई सहकारी समितियाँ स्थापित की थीं और कथित तौर पर लगभग 4 करोड़ जमाकर्ताओं से करीब 86,673 करोड़ रुपये की जमा राशि एकत्र की थी।



