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वैश्विक कृषि में नया अध्याय: पहुंचा बोत्सवाना में इफको नैनो रेंज

भारत और अफ्रीका के बीच कृषि सहयोग को बढ़ाते हुए, बोत्सवाना के राष्ट्रपति डूमा बोकॉ ने इफको द्वारा विकसित नैनो उर्वरक कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया। यह इफको के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और बोत्सवाना के कृषि क्षेत्र के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस पर इफको के प्रबंध निदेशक के. जे. पटेल ने ट्वीट किया, “इफको के लिए यह अत्यंत सम्मान का क्षण है… हमारी वैश्विक उपलब्धियों में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ी है। यह सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि नैनो उर्वरक तकनीक कैसे महाद्वीपों में कृषि को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।”

बोत्सवाना में नैनो उर्वरक कार्यक्रम का क्रियान्वयन स्थानीय कंपनी ‘लोन ट्रेंड्स’, इफको और देश के राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं विकास संस्थान की त्रि-पक्षीय साझेदारी के माध्यम से किया जा रहा है। इस साझेदारी के तहत नैनो उर्वरक तकनीक को बोत्सवाना की मिट्टी, फसल पैटर्न और स्थानीय जलवायु की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया गया है।

कार्यक्रम के साथ किसानों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है, ताकि तकनीक का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और बोत्सवाना में टिकाऊ एवं सुदृढ़ कृषि प्रणालियाँ विकसित की जा सकें।

बोत्सवाना में लॉन्च ऐसे समय में हुआ है जब इफको का नैनो उर्वरक व्यवसाय तेज़ी से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024–25 में इफको ने 365.09 लाख नैनो उर्वरक बोतलों की बिक्री की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 47% अधिक है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से तरल नैनो यूरिया प्लस और नैनो डीएपी की उच्च मांग के कारण हुई।

भारत में इफको लगातार अपनी उत्पादन क्षमता भी बढ़ा रहा है। उत्तर प्रदेश में हाल ही में शुरू किए गए दो नए संयंत्र अब तरल नैनो डीएपी का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे पाँच नैनो इकाइयों की कुल उत्पादन क्षमता बढ़कर 9.5 लाख बोतल प्रतिदिन हो गई है।

इफको की नैनो उर्वरक पहल, देश में टिकाऊ और कुशल कृषि को बढ़ावा देने के राष्ट्रीय मिशन से भी गहराई से जुड़ी है।

भारत की मिट्टी से लेकर बोत्सवाना के खेतों तक—इफको की नैनो उर्वरक तकनीक यह साबित कर रही है कि जब नवाचार और सहयोग एक साथ आते हैं, तो कृषि परिदृश्य बदल देने वाले परिणाम सामने आते हैं।

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