
देशभर के अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की बैलेंस शीट में वर्ष 2024-25 के दौरान निरंतर बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह वृद्धि मुख्य रूप से उच्च ऋण वृद्धि, जमा और उधारी से मिले समर्थन तथा मजबूत वित्तीय प्रदर्शन के कारण हुई है। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट “बैंकिंग इन इंडिया में प्रवृत्ति और प्रगति 2024-25” में दी।
आरबीआई के अनुसार, मार्च 2025 के अंत तक अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की कुल जमा राशि बढ़कर 5.84 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो मार्च 2024 में 5.55 लाख करोड़ रुपये थी। इस दौरान जमा में 5.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, कुल अग्रिम (ऋण) 3.47 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.70 लाख करोड़ रुपये हो गए, जो 6.7 प्रतिशत की ऋण वृद्धि को दर्शाता है।
ऋण वृद्धि के जमा से तेज रहने के कारण क्रेडिट-डिपॉजिट (सीडी) अनुपात मार्च 2025 के अंत में बढ़कर 63.3 प्रतिशत हो गया, जो एक वर्ष पहले 62.4 प्रतिशत था। इससे अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की बेहतर ऋण वितरण क्षमता स्पष्ट होती है।
आरबीआई ने कहा कि परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार, उच्च लाभप्रदता और मजबूत पूंजी आधार के कारण अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का वित्तीय प्रदर्शन सुदृढ़ बना हुआ है। चार-स्तरीय नियामक ढांचे के तहत किए गए सुधारों और क्षेत्र में जारी एकीकरण प्रक्रिया ने भी इस मजबूती में योगदान दिया है।
मार्च 2025 के अंत तक देश में 1,457 शहरी सहकारी बैंक कार्यरत थे। रिपोर्ट में बड़े बैंकों में व्यवसाय के बढ़ते संकेंद्रण की ओर भी संकेत किया गया है। शीर्ष 57 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का कुल अग्रिमों में 53.9 प्रतिशत हिस्सा रहा, जबकि 1,000 करोड़ रुपये से अधिक परिसंपत्ति वाले बैंक कुल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की परिसंपत्तियों का 65.5 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं।
निवेश पैटर्न में भी बदलाव देखा गया है। जहां वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) निवेश का बड़ा हिस्सा बना हुआ है, वहीं राज्य सरकार प्रतिभूतियों में निवेश बढ़कर मार्च 2025 में 36.8 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2015 में 15.2 प्रतिशत था।
लाभप्रदता में भी सुधार जारी रहा। वर्ष 2024-25 में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का शुद्ध लाभ 14.2 प्रतिशत बढ़ा, जबकि इससे पूर्व वर्ष 2023-24 में इसमें 52 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता के कारण प्रावधानों में कमी से लाभप्रदता को समर्थन मिला। हालांकि, अनुसूचित अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के परिचालन लाभ में 5.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि गैर-अनुसूचित अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का परिचालन लाभ 8.4 प्रतिशत बढ़ा।
पूंजी पर्याप्तता के मामले में भी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक मजबूत बने हुए हैं। मार्च 2025 के अंत में पूंजी से जोखिम-भारित परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) बढ़कर 18.0 प्रतिशत हो गया, जो एक वर्ष पहले 17.4 प्रतिशत था। यह सुधार मुख्य रूप से टियर-1 पूंजी में वृद्धि के कारण हुआ है। सितंबर 2025 के अंत तक सीआरएआर 18.0 प्रतिशत पर स्थिर बना रहा।
चालू वित्त वर्ष में भी जमा और ऋण वृद्धि की गति मजबूत बनी हुई है। सितंबर 2025 के अंत तक जमा वृद्धि 6.8 प्रतिशत और ऋण वृद्धि 6.4 प्रतिशत दर्ज की गई, जो अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के निरंतर व्यवसाय विस्तार को दर्शाता है।



