
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि अगस्त 2023 में अधिसूचित बहु-राज्य सहकारी समितियां (एमएससीएस) (संशोधन) अधिनियम एवं नियम, 2023 से बहु-राज्य सहकारी क्षेत्र में शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही में उल्लेखनीय मजबूती आई है। यह संशोधन बहु-राज्य सहकारी समितियां अधिनियम, 2002 का पूरक है तथा 97वें संविधान संशोधन के प्रमुख प्रावधानों को सम्मिलित करते हुए लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली और सशक्त निगरानी पर केंद्रित है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि बहु-राज्य सहकारी समितियों के अनुपालन और प्रशासन की समीक्षा एक सतत प्रक्रिया है तथा जहां भी अनियमितताएं पाई जाती हैं, वहां कार्रवाई की जाती है। सुधारों के तहत सहकारी चुनाव प्राधिकरण द्वारा अक्टूबर 2025 तक 197 बहु-राज्य सहकारी समितियों के निदेशक मंडलों एवं पदाधिकारियों के चुनाव कराए गए हैं, जिससे लोकतांत्रिक शासन सुनिश्चित हुआ है।
सदस्यों की शिकायतों के निवारण के लिए सहकारी लोकपाल द्वारा दिसंबर 2025 तक 36 आदेश पारित किए जा चुके हैं। पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से सभी बहु-राज्य सहकारी समितियों को सहकारी सूचना अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
वित्तीय निगरानी को सुदृढ़ करने के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर या जमाराशि वाली समितियों के लिए समवर्ती लेखा परीक्षा (कनकरेंट ऑडिट) लागू की गई है, जो केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा अनुमोदित लेखा परीक्षक पैनलों से कराई जाती है। वित्तीय आकार के आधार पर वैधानिक लेखा परीक्षा और समवर्ती लेखा परीक्षा के लिए अलग-अलग पैनल अधिसूचित किए गए हैं। साथ ही, केंद्र सरकार को लेखांकन एवं लेखा परीक्षा मानक निर्धारित करने का अधिकार भी प्रदान किया गया है।
वार्षिक रिपोर्टिंग को मजबूत करने के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों को लेखा वर्ष की समाप्ति के छह माह के भीतर सीआरसीएस पोर्टल के माध्यम से विस्तृत वार्षिक विवरण ऑनलाइन दाखिल करना अनिवार्य किया गया है। अनुपालन न करने पर अयोग्यता का प्रावधान है।
अब तक 113 बहु-राज्य सहकारी समितियों को गैर-अनुपालन, कुप्रबंधन या वैधानिक कारणों से परिसमापन (लिक्विडेशन) के अंतर्गत रखा गया है, जो सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही को लेकर सरकार के सख्त रुख को दर्शाता है।
अधिनियम के तहत निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सहकारी चुनाव प्राधिकरण की स्थापना की गई है। साथ ही, सदस्यों की शिकायतों के त्वरित निवारण और सूचना की समयबद्ध उपलब्धता के लिए सहकारी लोकपाल और सहकारी सूचना अधिकारी के पद सृजित किए गए हैं।
संघर्षरत सहकारी समितियों के पुनरुद्धार हेतु सहकारी पुनर्वास, पुनर्निर्माण एवं विकास निधि की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिसे लाभ में चल रही बहु-राज्य सहकारी समितियों के योगदान से वित्तपोषित किया जाएगा।
व्यवसाय सुगमता और प्रशासनिक दक्षता के लिए आवेदन, दस्तावेज, रिटर्न और खातों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग अनिवार्य की गई है तथा पंजीकरण की समय-सीमा को कम करते हुए त्रुटि-सुधार की व्यवस्था भी की गई है। इसके अतिरिक्त, राज्य सहकारी समितियों के बहु-राज्य संस्थाओं में विलय की अनुमति, नेतृत्व नियुक्तियों में हितों के टकराव पर नियंत्रण तथा उल्लंघनों पर मौद्रिक दंड बढ़ाने जैसे सुधार भी किए गए हैं।
ये सभी प्रावधान अगस्त 2023 से प्रभावी हैं और भारत के सहकारी क्षेत्र के आधुनिकीकरण की व्यापक पहल का हिस्सा हैं।



