
केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों की संरचना और कार्यप्रणाली को मजबूत करने तथा उन्हें वाणिज्यिक बैंकों के समकक्ष लाने के लिए कई व्यापक पहलें की हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
उन्होंने बताया कि ये कदम वित्तीय सेवा विभाग और भारतीय रिज़र्व बैंक के सहयोग से उठाए गए हैं, जिनका उद्देश्य सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में व्यावसायिक अवसर बढ़ाना, सुशासन को मजबूत करना, ऋण प्रवाह का विस्तार करना और बैंकिंग सेवाओं का आधुनिकीकरण करना है।
अमित शाह ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों को अब नई शाखाएं खोलने की अनुमति दी गई है और उन्हें प्राथमिकता क्षेत्र ऋण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है। सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों की तरह घर-द्वार बैंकिंग सेवाएं देने और बकाया ऋणों के एकमुश्त निपटान की भी अनुमति दी गई है।
ऋण क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने ग्रामीण सहकारी बैंकों और शहरी सहकारी बैंकों दोनों के लिए व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा को दोगुने से अधिक कर दिया है। साथ ही ग्रामीण सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक अचल संपत्ति और आवासीय क्षेत्र को ऋण देने की अनुमति दी गई है। सहकारी बैंकों को सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी कोष न्यास के तहत सदस्य ऋणदाता संस्थान के रूप में भी शामिल किया गया है।
मंत्री ने बताया कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने कई नियामकीय प्रावधानों में ढील दी है, जिनमें शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण लक्ष्य को 75 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत करना, कमजोर वर्ग के उप-लक्ष्यों में छूट और महिला उधारकर्ताओं के लिए 2 लाख रुपये के ऋण लक्ष्य को समाप्त करना शामिल है। इसके अलावा, पात्र शहरी सहकारी बैंकों के लिए एकमुश्त भुगतान योजना के तहत स्वर्ण ऋण सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया गया है।
डिजिटल और तकनीकी सुधारों पर प्रकाश डालते हुए अमित शाह ने कहा कि सहकारी बैंकों को आधार सक्षम भुगतान प्रणाली से जोड़ने के लिए लाइसेंस शुल्क को लेनदेन की मात्रा से जोड़ते हुए कम किया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए अनुसूचित बैंक का दर्जा देने से संबंधित मानदंड भी अधिसूचित किए हैं और सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक लोकपाल योजना के दायरे में लाया गया है, जिससे ग्राहकों की शिकायत निवारण व्यवस्था मजबूत हुई है।
संरचनात्मक सहयोग के लिए सरकार ने राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड की स्थापना की है, जो शहरी सहकारी बैंक क्षेत्र के लिए एक छत्र संगठन के रूप में सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना और परिचालन सहायता प्रदान करेगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक की मंजूरी से ‘सहकार सारथी’ नामक साझा सेवा इकाई की स्थापना की है, जो ग्रामीण सहकारी बैंकों को तकनीकी सेवाएं उपलब्ध कराएगी।
मंत्री ने यह भी बताया कि डेयरी गतिविधियों से जुड़ी कृषि सहकारी समितियों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण सीमा को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि शहरी सहकारी संस्थानों के लिए ऋण सीमा में 50 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए इसे 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये किया गया है।
इसके अलावा, शासन सुधारों के तहत बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन कर सहकारी बैंकों के निदेशक मंडलों के कार्यकाल को संविधान के प्रावधानों के अनुरूप अधिकतम 10 वर्षों तक सीमित किया गया है।
अमित शाह ने कहा कि ग्रामीण सहकारी बैंकों को अब स्वचालित मार्ग के तहत 10 शाखाएं तक खोलने की अनुमति दी गई है और सहकारी बैंकों को वित्तीय मानकों एवं दंडात्मक प्रावधानों में भी छूट दी गई है, ताकि वे आधुनिक बैंकिंग सेवाओं को आसानी से अपना सकें।
उन्होंने कहा कि ये सभी पहलें मिलकर सहकारी बैंकों को आर्थिक रूप से सशक्त, तकनीकी रूप से उन्नत और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के साथ-साथ जमाकर्ताओं को बेहतर सेवाएं और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।



