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किसान नीति पर चौहान का जोर; पोषण को संघानी ने अहम बताया

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा सोमवार को होटल ताज पैलेस, नई दिल्ली में एग्रिबिज़नेस समिट 2025 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, वरिष्ठ सहकारी नेता एवं इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी सहित कई उद्योग और सहकारी क्षेत्र के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत के कृषि तंत्र में परिवर्तनकारी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए घोषणा की कि सरकार कृषि रणनीतियों को पुनर्संगठित और पुनर्विचार करने के लिए व्यापक परामर्श प्रक्रिया शुरू कर रही है।

उन्होंने कहा, “हम कृषि पर राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक विचार-विमर्श करने जा रहे हैं। मैं चाहता हूं कि कृषि मंत्रालय को कृषिभवन से बाहर निकालकर किसानों के खेतों तक ले जाया जाए।”

चौहान ने विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और उद्योग जगत के नेताओं को अपने सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने किसानों को मिलने वाली कीमत और उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत के बीच भारी अंतर पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “किसान अपना उत्पाद बहुत कम कीमत पर बेचते हैं, लेकिन उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते वही उत्पाद महंगा हो जाता है। इस अंतर को सीमित करना आवश्यक है ताकि किसान और उपभोक्ता दोनों को लाभ मिल सके।”

कृषि मंत्री ने घटिया कीटनाशकों और नकली खादों पर भी चिंता जताई और कहा कि यह आज किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि किसानों तक गुणवत्तापूर्ण कृषि-इनपुट पहुंचाना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

चौहान ने बताया कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य से आगे बढ़ते हुए बागवानी फसलों के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना का विस्तार किया है। उन्होंने कहा, “यदि कीमतें निर्धारित सीमा से नीचे जाती हैं, तो मॉडल रेट और वास्तविक बिक्री मूल्य के अंतर की राशि सीधे किसानों के खातों में भेजी जाएगी।”

अपने संबोधन में इफको चेयरमैन दिलीप संघानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं, और यह समिट उस विज़न को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण मंच है।

संघानी ने कहा, “यदि हम वैज्ञानिक पोषण प्रबंधन, नैनो खाद, जैविक खाद और किसानों के प्रशिक्षण को प्राथमिकता दें, तो भारत की कृषि जीडीपी को तीन गुना करना संभव है। यह किसानों के प्रयास, प्रभावी नीतियों, सहकारी संस्थाओं और वैज्ञानिक नवाचार का संयुक्त परिणाम होगा।”

उन्होंने राष्ट्र की समृद्धि और कल्याण के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान भी किया।

कार्यक्रम में एपीडा के सचिव डॉ. सुधांशु, वर्डेशियन के एमडी आर.के. गोयल, नाफेड निदेशक अशोक ठाकुर, तथा पीएचडीसीसीआई और उद्योग जगत के वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

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