
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के अवसर पर वामनिकॉम ने अफ्रीकन-एशियन रूरल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (एएआरडीओ) के साथ मिलकर दो महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन आयोजनों में एशिया और अफ्रीका के कई देशों के सहकारी नेता, नीति-निर्माता और वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए।
पहला कार्यक्रम 2–5 दिसंबर 2025 तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय गोलमेज बैठक थी, जिसका विषय था—सहकारी समितियों और एमएसएमई की योगदान क्षमता एवं प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में नीति, सुशासन और तकनीकी हस्तक्षेप की भूमिका। दूसरा कार्यक्रम 2–9 दिसंबर 2025 तक चला, जिसमें सहकारी एवं ग्रामीण वित्तीय संस्थाओं के डिजिटलीकरण पर केंद्रित चर्चाएं हुईं।
उद्घाटन सत्र दीप प्रज्वलन के साथ आरंभ हुआ। वामनिकॉम के निदेशक डॉ. सुवा कांत मोहंती ने स्वागत भाषण दिया, जबकि एएआरडीओ के आईईसी डिवीजन प्रमुख डॉ. संजीब कुमार बेहेरा ने कार्यक्रमों के उद्देश्यों को विस्तार से समझाया। इसके बाद कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने मुख्य विषयों पर अपने विचार रखे।
मुख्य वक्ताओं में गाम्बिया नेशनल असेंबली के सांसद एच.ई. अब्दूले नजई, केआईआईटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के प्रो. (डॉ.) बिष्वजीत दास, लाइबेरिया के उप मंत्री एडवर्ड मुल्बाह और क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के निदेशक डॉ. (फादर) लीजो थॉमस शामिल थे। एएआरडीओ के महासचिव एच.ई. डॉ. मनोज नरदेओसिंघ ने मुख्य भाषण में वैश्विक सहकारिता ढांचे को मजबूत करने के लिए सामूहिक सहयोग व नीति समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रमों में भारत, एसवातिनी, गाम्बिया, घाना, जॉर्डन, केन्या, लेबनान, मलेशिया, मॉरीशस, नाइजीरिया, ओमान, श्रीलंका और जाम्बिया सहित कुल 16 देशों के 50 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चर्चाओं में नीतिगत सुधार, तकनीकी नवाचार, डिजिटल परिवर्तन, वित्तीय समावेशन और सहकारी संस्थाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने पर विशेष फोकस रहा।
अंत में वामनिकॉम के रजिस्ट्रार डॉ. एस. धर्मराज ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। सत्र का समापन समूह फोटोग्राफ और नेटवर्किंग के साथ हुआ, जो आईवाईसी-2025 के तहत अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संवाद का एक सशक्त प्रारंभ साबित हुआ।



