
नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति में त्रिस्तरीय अल्पकालिक सहकारी ऋण संरचना — प्राथमिक कृषि साख समितियां (पैक्स), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) और राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी) — के संरक्षण और संवर्धन का प्रस्ताव रखा गया है। इसका उद्देश्य सहकारी संस्थाओं की लोकतांत्रिक प्रकृति को बनाए रखते हुए किसानों और ग्रामीण समुदायों को सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना है।
नीति में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर प्रत्येक पंचायत में एक पैक्स, प्रत्येक जिले में एक डीसीसीबी और प्रत्येक शहरी क्षेत्र में एक अर्बन कोऑपरेटिव बैंक (यूसीबी) स्थापित करने को प्रोत्साहित करने की बात कही गई है, ताकि सहकारी संस्थाओं के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जा सके। हालांकि, यह पहल संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक रूप से व्यावहारिक पाए जाने की स्थिति में ही लागू की जाएगी।
इसके साथ ही, नीति में पैक्स की भूमिका को सशक्त बनाने की दिशा में कदम उठाने का प्रस्ताव है। इसके तहत, जमीनी स्तर पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए पैक्स को कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया जाएगा। इसके अलावा, बेहतर प्रदर्शन करने वाली पैक्स को प्रोत्साहन देने की भी व्यवस्था की जाएगी, जिससे उनमें कार्यकुशलता और जवाबदेही की भावना को बढ़ावा मिल सके।