
कर्नाटक के सहकारिता विभाग द्वारा जारी एक पत्र से राज्य की मल्टी-स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटीज से जुड़े लोग काफी नाराज हैं।
इस सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज स्वायत्त संस्थाएं हैं और इनमें किए गए जमा निवेश सदस्यों के अपने जोखिम पर होते हैं। न तो केंद्रीय रजिस्ट्रार और न ही कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय इस प्रकार के जमा पर कोई गारंटी प्रदान करता है।
यह राज्य स्तर की यह निर्देशिका केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज द्वारा 25 जून 2021 को जारी की गई पूर्व सर्कुलर का हवाला देती है।
पत्र के अनुसार, सभी मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज को अपने मुख्य कार्यालय, सभी शाखाओं के प्रवेश द्वार और अपनी वेबसाइट पर स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में यह सूचना प्रमुखता से प्रदर्शित करनी होगी:
“मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज स्वायत्त सहकारी संगठन के रूप में कार्यरत हैं, जो अपने सदस्यों के प्रति जिम्मेदार हैं और केंद्रीय रजिस्ट्रार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं हैं।”
साथ ही सर्कुलर में कहा गया है, “इसलिए, जमा करने वाले सदस्यों/निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सोसायटी के प्रदर्शन के आधार पर निवेश के फैसले स्वयं के जोखिम पर लें। केंद्रीय रजिस्ट्रार एवं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय इन जमा निवेशों के लिए कोई गारंटी प्रदान नहीं करता।”
यह निर्देश कर्नाटक राज्य में संचालित सभी मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज और उनकी शाखाओं के लिए अनिवार्य है।
इसके अलावा, विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इस सर्कुलर को अपने क्षेत्राधिकार में आने वाली सभी सोसायटीज और शाखाओं तक पहुंचाएं और सख्ती से पालन सुनिश्चित करें।
यह सर्कुलर कर्नाटक के रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज, टी.एच.एम. कुमार, आईएएस द्वारा जारी एवं हस्ताक्षरित किया गया है।