ताजा खबरें

शाह ने सदन में सहकारिता से जुड़े मुद्दों को उठाया

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्यभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में पैक्स, बहु-राज्य सहकारी समितियां, सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े सवालों का जवाब दिया।

“बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम 2002 के अधीन पंजीकृत सहकारी समितियां स्वायत्त सहकारी संगठनों के रूप में कार्य करती हैं जो सदस्यों के प्रति उत्तरदायी होती हैं।”

“जब कभी भी किसी बहु राज्य क्रेडिट समिति के विरुद्ध बहु राज्य सहकारी सोसाइटी अधिनियम या नियमों का उल्लंघन या परिपक्वता पर जमाराशियों के गैर भुगतान की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो एमएससीएस अधिनियम, 2002 और नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा 45 बहु-राज्य क्रेडिट सहकारी समितियों के विरुद्ध परिसमापन की प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है।”

बहु-राज्य सहकारी समितियों अधिनियम, 2002 की धारा 108 के अधीन बहुराज्य सहकारी समितियों की निरीक्षण करने और धारा 84 के अधीन मध्यस्थ नियुक्त करने की केंद्रीय रजिस्ट्रार की शक्तियों को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को प्रत्यायोजित की गई है, जो केंद्रीय रजिस्ट्रार की ओर से कार्य करते हैं।

सहकारी समितियों के राज्य रजिस्ट्रारों से निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने पर केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा बहु राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 और उसके अधीन बने नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाती है”, उन्होंने रेखांकित किया।

“राज्य स्तर पर संबंधित राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अधीन पंजीकृत सहकारी समितियों के विरुद्ध शिकायतों के मामले में राज्य रजिस्ट्रार द्वारा संबधित अधिनियम/नियमों के अधीन कार्रवाई की जानी अपेक्षित है।”

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय पंजीयक के कार्यालय को सशक्त करने के लिए अतिरिक्त 64 पद का भी सृजन किया गया है। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा सदस्य सुश्री फूलो देवी नेताम द्वारा उठाए गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि बहु-राज्य सहकारी समितियों की निगरानी को मजबूत करने के लिए केंद्रीय पंजीयक के कार्यालय को भी कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है।

पैक्स के मुद्दे पर शाह ने कहा, “पैक्स  देश में पंचायत/ग्राम स्तर पर अल्पकालिक सहकारी ऋण संरचना का सबसे निचला स्तर है। वे किसानों को अल्पकालिक और मध्यम अवधि के ऋण और उर्वरक, कीटनाशक, बीज आदि जैसी अन्य इनपुट सुविधाएं प्रदान करके देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

देश में लगभग 95,000 पैक्स हैं, जिनमें लगभग 13 करोड़ सदस्य हैं। इन्हें नाबार्ड द्वारा 351 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और 34 राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से पुनर्वित्त किया जाता है। राज्य सहकारी बैंकों और डीसीसीबी मिलकर सालाना लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का ग्रामीण ऋण प्रदान करते हैं, जिसमें से 1.3 लाख करोड़ रुपये नाबार्ड द्वारा पुनर्वित्त किया जाता है।

पैक्स के कार्यों में पारदर्शिता लाने, कार्यकुशलता बढ़ाने, ऋणों का त्वरित वितरण सुनिश्चित करने, डीसीसीबी और एसटीसीबी के साथ निर्बाध लेखांकन करने और भुगतानों ोमें असंतुलन को कम करने के लिए, 2,516 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय से तीन वर्षों में 63,000 कार्यात्मक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण की एक परियोजना को आर्थिक कार्य मंत्रिमंडलीय समिति ने अपने 29 जून, 2022 के अपने निर्णय द्वारा स्वीकृत कर दिया है।

वर्तमान में, पैक्स द्वारा की जाने वाली आर्थिक गतिविधियाँ उनके संबंधित उपनियमों द्वारा संचालित होती है , जो ज्यादातर मामलों में पुरानी हो चुकी हैं और उन्हें संशोधित करने की आवश्यकता है। पैक्स को मजबूत करने और उन्हें व्यावसायिक कार्यकलापों का विविधीकरण करके उन्हें पंचायत स्तर पर जीवंत आर्थिक संस्थान बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, संबंधित मंत्रालयों/विभागों, नाबार्ड, नेफस्कॉब, राज्य सहकारी बैंकों, जिला सहकारी बैंकों, आदि से विचार विमर्श के बाद मॉडल उपविधियां तैयार की गई हैं।

 

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close