विशेष

गुस्साए अध्यक्ष ने मंत्री और शाही को दोषी ठहराया

मै अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं लेकिन आदलत में राज्य सरकार की “सक्रियता” आपको समझनी होगी”, बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह ने केंद्रीय पंजीयक द्वारा बिस्कोमॉन को बहुराज्य सहकारी समिति का दर्ज दिए जाने पर पटना उच्च न्यायालय के रोक के आदेश को मद्देनजर रखते हुए कहा।

सिंह ने कहा कि बिहार राज्य के सहकार मंत्री जय कुमार सिंह ने अपने बेटे की बीमार अवस्था में बिस्कोमॉन के अतिथि गृह के पांच कक्ष का इस्तेमाल किया था, और जब हमने उनके ऊपर आए 3.18 लाख के खर्च का बिल भेजा, तो बिस्कोमॉन की तरफ से ऐसा किया जाना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आया। पाठकों को याद होगा कि हाल ही में उनके बेटे ने सिधिया स्कूल में अपने आप को मारने का प्रयास किया था।

“मै अदालत के फैसला का आदर करता हूं और मैं किसी भी कोर्ट में अपील दायर करने नहीं जाऊंगा। मैं देखना चाहता हूं कि राज्य सरकार बिस्कोमॉन के हित में क्या कार्य करती है, बिस्कोमॉन अध्यक्ष ने कहा।

मै चाहता हूं कि राज्य सरकार बिस्कोमॉन के कर्मचारियों की लंबित 100 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करे। उन्होंने कहा कि 1988 से 2003 वर्ष तक बिस्कोमान में बोर्ड नहीं थी और राज्य सरकार ही इसे चला रही थी जब कर्मचारियों का 100 करोड़ रुपये का भुगतान का बकाया जमा हो गया।

ये सोचते हुए कि सुनील सिंह का अगला कदम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा विनय शाही ने सुप्रीम कोर्ट में इत्तलानामा दिया था लेकिन भारतीय सहकारिता से बात करते हुए सुनील ने कहा कि मैं उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कहीं नहीं जाऊंगा।

विनय शाही का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि वह आदती हस्तक्षेप करने वाला व्यक्ति है और छोटे व्यापार मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर के चुनाव तक में मेरा विरोध करना उसका मकसद है। लेकिन उन्होंंने याद दिलाया कि बिस्कोमॉन में 2012 वर्ष के दौरान हुए चुनाव का मामला कई बार कोर्ट जाने के बाद भी हुआ जरूरू। उन्होंने याद दिलाया कि डिविजन बैंच में छह बार और सुप्रीम कोर्ट में तीन बार ये मामला पहुंचा था। मैं अदालत का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं बिल्कुल तनाव में नहीं हूं, सिंह ने कहा।

बिस्कोमॉन के चुनाव को भूलकर, मैं पहले अपने मामलों की गुत्थी को सुलझाना चाहता हूं, सिंह ने कहा।

कोर्ट की इस राय के बारे में की, समिति के प्रबंध निदेशक के जारिए नहीं बल्कि निदेशकमंडल सीधे न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, और बहुराज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 103 के तहत समिति को पंजीकृत करने के लिए केंद्र सरकार से प्रर्थाना की, सुनील ने कहा कि मुझे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी, लेकिन मुझे कोई बताए कि बड़ा कौन है-एमडी या बोर्ड।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close