इफको

शीर्ष पर तालमेल इफको की सफलता की कुंजीःअवस्थी

दिल्ली में भारतीय सहकारिता से बात करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक श्री उदयशंकर अवस्थी ने कहा है कि शीर्ष पर सामंजस्य इफको की एक अनूठी विशेषता है और इसके निरंतर प्रगति के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक है।

शीर्ष पर सामंजस्य धीरे-धीरे नीचे तक पहुँचता है और ये हमारे 40 हजार से अधिक सोसायटी के सदस्यों में व्याप्त हो जाता है। इस तालमेल का मतलब ये है कि एक एकीकृत टीम के रूप में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, बोर्ड के सदस्यों और अन्य शीर्ष अधिकारी यहाँ  काम करते है,खास बात यह कि  कोई भी दूसरों के बारे में बुरा नहीं सोचता है जिससे विकास के लिए विशाल ऊर्जा का निर्माण होता है, श्री अवस्थी ने कहा।

संवाद हमारी सफलता की कुंजी है। प्रत्येक सदस्य हमारे हर बड़े निर्णय का हिस्सा होते है, उन्होंने कहा।

हम यहाँ पाठकों को बताना चाहेंगे कि निराशाजनक स्थानीय और वैश्विक परिदृश्य के बावजूद इफको ने इस वित्तीय वर्ष में भी एक हजार करोड़ से ज्यादा का लाभ कमाया। इसने अपने टर्न ओवर को भी 22,000 करोड़ रुपये से 26,000 करोड़ रुपये तक पहुँचाया।

किसी भी संगठन के मुख्य कार्यकारी को नीलकंठ (शिव) की तरह व्यवहार करना चाहिए। उसमें  गले में जहर धारण करने का माद्दा होता है। यह जहर न तो वो ऊपर भेजे न नीचे जैसा कि नीलकंठ भगवान ने किया था। ऐसे सक्षम लोग ही संगठन के प्रमुख बनने लायक होते है, श्री अवस्थी ने कहा।

डॉलर के उतार-चढ़ाव के कारण बढ़ी हुई मूल्य पर किसानों को उर्वरक परोसना इफको के गले से नही उतर रहा था। हमारे बोर्ड ने तय किया कि 300 करोड़ का घाटा हम खुद सहेंगे लेकिन किसानों के लिए कीमत नहीं बढ़ाएँगे।

देश के किसान हमारे साथ हर स्थिति में खड़े रहे है और हम भी भविष्य में उनके साथ खड़े रहेंगे ऐसा वादा करता हूँ, श्री अवस्थी भावनात्मक रूप से कहा।

सहकारिता अभी भी 19 वीं सदी के व्यापार मॉडल का पालन कर रहे है जिसे कचरा-पेटी में डालने की जरूरत है। आज के युग में चुनौतियाँ अनेक है जैसे कि रुपये की अस्थिरता, बैंक ऋण नीति, अस्थिर कमोडिटी की कीमतों, किसानों के लिए नवीन उत्पादों को खरीदने की चुनौती आदि लेकिन सामरिक खरीदी और अत्याधुनिक प्लानिंग से हम  लाभ के अनुपात को बनाए रखने में सफल रहें, श्री अवस्थी ने निष्कर्ष निकाला है।

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