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इफको के लाभ से सहकरिता-आंदोलन की सफलता की उम्मीद बढ़ी

पिछले सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ कर, विशाल उर्वरक सहकारी – ‘इफको’ ने वित्तीय वर्ष 2010-11 में 1026 करोड़ रुपये का लाभ हासिल किया है.  इफको बोर्ड ने सदस्य-सहकारी समितियों को उर्वरक की बिक्री पर 5 प्रतिशत प्रोत्साहन के रूप पेशकश करने का फैसला किया है. इसका मतलब है प्रत्येक टन ऊर्वरक की बिक्री पर  5.०० रुपये.

बोर्ड ने ऐसी भी सहकारी समितियों को 2 फीसदी प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव किया है जो अपनी इक्विटी बेचने में सक्षम नहीं थीं.  इसका मतलब अगर किसी समिति का इक्विटी शेयर 10 लाख है, तो उसे 20 हजार रुपए मिलेंगे.

भारतीयसहकारिता.कॉम से बातचीत में इफको के निदेशक (सहकारी विकास) डॉ. जी.एन. सक्सेना ने कहा कि यह राशि 20 प्रतिशत बोनस से अधिक है जो इफको पिछले 10 वर्षों से अपने सदस्यों को देता रहा है.

बोर्ड की पिछली बैठक में कर्मचारियों को पेंशन योजना की पेशकश का फैसला किया गया था. पेंशन योजना 1 अप्रैल 2010 से लागू की जाएगी.  डॉ. सक्सेना ने कहा कि कर्मचारियों की एक समर्पित टीम के बिना इफको सफल नहीं होता.

डॉ. सक्सेना ने कहा की प्रबंध निदेशक डॉ. यू.एस. अवस्थी की दृष्टि, बोर्ड के समर्थन और कर्मचारियों के समर्पण की मदद से ही यह उपलब्धि हासिल हुई है.

इफको पिछले तीन वर्षों से हर साल अपने प्रतिनिधियों को सोने का सिक्का बांटता है जिसे वह स्विट्जरलैंड से मंगाता है.

इफको को सरकारी बांड के लिए एक बड़ी रकम खर्चनी पड़ी थी.   इफको का कुल लाभ 1400 करोड़ रुपये के आस-पास है. इस आंकड़े पर भारतीय सहकारिता आंदोलन गर्व महसूस कर सकता है.

 

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