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बेहतर होगा यदि सहकारिता माफिया सुधर जाएं

समय आ गया है कि सहकारिता नेता अनाप-सनाप काम करना बंद कर दें क्योंकि indiancooperative.com और भारतीयसहकारिता.कॉम  की पहुंच का विस्तार जल्द ही देश के दूरदराज गांवों तक हो रहा है.  अब सहकारी नेताओं के कार्यों की समीक्षा सहकारी समितियों के साधारण सदस्य द्वारा भी होगी.

दूरसंचार विभाग (डीओटी) के पास योजना और कोष है जिससे कि इंटरनेट का माध्यम देश के हर क्षेत्र तक पंहुच सकता है.  दूरसंचार विभाग की ‘ग्रामीण वायरलाइन ब्रॉडबैंड’ योजना के तहत 31 जनवरी 2011 तक देश के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में कुल 2,61,413 ब्रॉडबैंड कनेक्शन और 2506 कियोस्क प्रदान किए गए है जबकि 2014 तक लक्ष्य 8,88,832 कनेक्शन और 28,762 कियोस्क का है.

हालांकि सहकारिता आंदोलन का एक महान उद्देश्य है लेकिन वह अधिकांश मामलों में निहित स्वार्थ का शिकार हो गया है. नकली समितियों और सदस्यों की भरमार हो गई है.

भारतीयसहकारिता.कॉम इस तरह की नकली समितियों का पर्दाफाश करने का प्रयास करती रही है लेकिन गावों तक पहुंच न होने से कुछ असमर्थता महसूस हो रही थी.  यह परिदृश्य बहुत जल्द ही बदलने वाला है और ग्रामीण लोगों की ही मदद से कई बहु-राज्य समितियों के काम-काज का पर्दाफास हो सकता है.  यह हिन्दी संस्करण (भारतीयसहकारिता.कॉम) इस उद्देश्य को पूरा करने में बहुत मदद करेगा क्योंकि ग्रामीणों को अंग्रेजी की अपेक्षा हिन्दी अधिक रास आएगी.

2011-12 के बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने तीन वर्षों में देश में सभी 2,50,000  पंचायतों को ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की योजना को अंतिम रूप दिया है.

दूरसंचार विभाग (डीओटी) के अनुसार, ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में लगभग 18,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

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