राज्यों सेविशेष

बिस्कोमान बोर्ड असंवैधानिक

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकरण अधिनियम, 2008 के तहत PACs के चुनाव करा कर भले ही एक अद्भुत काम किया है, लेकिन विकास कार्यों में उनके अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण बेईमान तत्वों को राज्य में सहकारी समितियों और सहकारिता संबंधित कार्यों का मजाक बनाने का मौका मिल गया.

BISCOMAUN के निदेशक मंडल ने 2003 में पद की शपथ ली और इसका कार्यकाल वर्ष 2008 में समाप्त होने वाला था. लेकिन अवैध बोर्ड अब तक जारी है और मनमाना काम कर रहा है.

BISCOMAUN के निदेशक मंडल का कार्यकाल 28-05-2008 को समाप्त होने वाला था.  हालांकि, बिहार राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1935 में 29-04-2008 को संशोधन किया गया जिसके बाद धारा 14 (ए) डाली गयी था.

उक्त संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक चुनाव के लिए अधिसूचना संख्या 2564, दिनांक 01.05.2008 को  जारी हुई थी.

इसके अलावा धारा 14 (ए) (3) में एक प्रावधान किया गया था कि चुनाव की अवधि अधिसूचना द्वारा छः महीने तक बढ़ायी जा सकती थी लेकिन यह अवधि अधिसूचना के प्रथम प्रकाशन की तारीख से दो वर्षों से अधिक के लिए नहीं बढ़ायी जा सकती थी.

धारा 14 (ए) (4) में प्रावधान था कि BISCOMAUN जैसी सहकारी सोसायटी/प्रबंधन समिति के निदेशक मंडल का कार्यकाल  समाप्ति  के  बाद उक्त अवधि  तक  बढ़ाई जा सकती है. पहले नोटिफिकेशन की अवधि 6.8.2008 को समाप्त हो गई.

दूसरी अधिसूचना संख्या-7030, दिनांक 31-10-2008 को जारी की गयी जिसके द्वारा चुनाव को पुनः अगले छः माह के लिए बढ़ा दिया गया.  इस अधिसूचना की अवधि 30.04.2009 को समाप्त हो गई. BISCOMAUN और इसी तरह के अन्य शीर्ष सहकारी समितियों के बोर्ड को भी उक्त अधिसूचना के तहत विस्तार मिल गया.

तीसरी अधिसूचना सं.1931, दूसरी अधिसूचना के समाप्त होने के 17 दिनों के अंतराल के बाद, दिनांक 18-05-2009 को जारी की गई.  इस तरह दूसरी और तीसरी अधिसूचना जारी होने के बीच १७ दिनों का अंतराल था.  अंतराल की अवधि में बिस्कोमान और अन्य समितियों के बोर्ड की अवधि भी समाप्त हो गई थी जिसके लिए प्रशासक की नियुक्ति की आवश्यकता थी.

पुनः तीसरी अधिसूचना सं.1931 दिनांक 18-05-2009 को धारा 14 (ए) (3) के तहत छः माह के लिए जारी हुई थी.  हालांकि इस अवधि में भी चुनाव नहीं हो सके और चौथी अधिसूचना सं.7345 दिनांक 19.11.2009 को  जारी हुई.

तब के सहकारिता सचिव ने मई 2010 में पुनः छः माह के समय विस्तार के लिए फ़ाइल चलाई थी जिससे कि चुनाव हो सके जो दो वर्ष की अवधि से परे और धारा 14ए(3) के प्रावधान के विरुद्ध था.

छह माह की अवधि का यह विस्तार बिहार राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1935 की धारा 14 (ए)(3) के प्रावधान का घोर उल्लंघन था क्योंकि दो वर्ष की अवधि से अधिक का विस्तार अधिनियम के अनुसार देय नहीं था.

तत्कालीन सहकारिता सचिव ने एडवोकेट जनरल के साथ विस्तार के मुद्दे पर अपनी चर्चा का उल्लेख किया था लेकिन एडवोकेट जनरल की राय रिकॉर्ड पर उपलाब्ध नहीं है.

यह एक उपयुक्त मामला है जहां सरकार द्वारा BOSCOMAUN एवं अन्य शीर्ष समितियों के लिए प्रशासक की नियुक्ति कर दी जानी चाहिए थी.

लेकिन क्या BISCOMAUN एवं अन्य शीर्ष निकायों के बोर्ड तथा बिहार सरकार के सहकारिता विभाग के बीच कुछ मिलीभगत है कि इस तरह की निराशाजनक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है?

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close