
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और आतिथ्य उद्योग के बीच प्रत्यक्ष, संरचित और दीर्घकालिक साझेदारी बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों तक निरंतर पहुँच सुनिश्चित करने के लिए ऐसे सहयोग आवश्यक हैं।
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) द्वारा सोमवार को आयोजित एफपीओ-आतिथ्य और किसान लाभ शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए डॉ. चतुर्वेदी ने प्रत्यक्ष एफपीओ-होटल संपर्क को एक शक्तिशाली और “विन-विन” मॉडल करार दिया। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि होटलों को बड़े पैमाने पर प्रीमियम, रसायन मुक्त सामग्री भी उपलब्ध होगी।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि भारत में लगभग 40,000 एफपीओ हैं, जिनमें से कई उत्पाद आतिथ्य क्षेत्र की स्वच्छ, सुरक्षित और टिकाऊ भोजन की मांग के अनुरूप हैं। उन्होंने किसानों को थोक मूल्य पर उत्पाद बेचने और खुदरा मूल्य पर खरीदारी करने की समस्या-एक उलटे मूल्य निर्धारण चक्र-का सामना करने का जिक्र किया और इसे होटल साझेदारियों के माध्यम से ठीक करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने प्रधानमंत्री के कृषि-उद्योग सहयोग के आह्वान को दोहराते हुए कहा कि ऐसी साझेदारियां बिचौलियों को कम करेंगी, आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित बनाएंगी और किसानों के लाभ में वृद्धि करेंगी। साथ ही, यह आतिथ्य क्षेत्र को सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार सृजन में योगदान देने में सक्षम बनाएगा।
सरकार जैविक खेती, जीआई-टैग उत्पाद और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। केरल के कुमारकोम मॉडल को टिकाऊ उद्योग-समुदाय एकीकरण के लिए मानक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
शिखर सम्मेलन में पर्यटन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं महानिदेशक श्री सुमन बिल्ला ने कहा कि भारत को तेज़-तर्रार, संरचित किसान-होटल साझेदारी ढांचे की आवश्यकता है। उन्होंने इसे ग्रामीण आजीविका को उन्नत करने और पर्यटन-संचालित मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए आवश्यक बताया।
एफएचआरएआई के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार जायसवाल ने एफपीओ से सीधे खरीद करने के लिए होटलों की तत्परता जताई। वहीं, एचएआई के महासचिव एमपी बेजबरुआ ने होटलों को बुनियादी ढांचे का दर्जा देने की लंबे समय से चली आ रही मांग दोहराई।
उद्योग जगत के नेता राहुल मैकरियस, विश्वप्रीत सिंह चीमा और सुश्री अंकिता जायसवाल ने भी सम्मेलन में अपने विचार साझा किए। खाद्य लेखक सौरीश भट्टाचार्य द्वारा संचालित तकनीकी सत्र में राष्ट्रीय फार्म-टू-हॉस्पिटैलिटी आपूर्ति श्रृंखला के क्रियान्वयन का परिचालन खाका प्रस्तुत किया गया।
प्रमुख योगदानकर्ताओं में एमओएएफडब्ल्यू की सुश्री आशा सोता, एकगाँव ग्रुप के विजय प्रताप सिंह आदित्य, इकोशिएट कंसल्टेंट्स के कीर्ति प्रसन्ना मिश्रा, रेडिसन होटल समूह के अश्विनी कुमार गोयला, ले मेरिडियन नई दिल्ली की सुश्री मीना भाटिया और शेफ दविंदर कुमार एवं शेफ राकेश सेठी शामिल थे।
शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण एफएचआरएआई द्वारा आयोजित प्रदर्शनी थी, जिसमें 17 राज्यों के 50 एफपीओ ने भाग लिया।
प्रदर्शनी में पीली चाय, कश्मीरी मामरा बादाम, हिमालयी केसर, मखाना, काली हल्दी, वन शहद, कतरनी चावल और कंधमाल हल्दी जैसे क्षेत्रीय और जीआई-टैग उत्पाद प्रदर्शित किए गए। यह प्रदर्शनी भारत की कृषि विविधता को दर्शाती है और एफपीओ को संस्थागत बाजार की आवश्यकताओं की जानकारी प्रदान करती है।



