
बेंगलुरु स्थित श्री गुरु राघवेन्द्र सहकारा बैंक नियमिता के पुनर्जीवन के लिए योग्य संस्थाओं से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) आमंत्रित किए गए हैं। बैंक जनवरी 2020 से आरबीआई की ऑल-इंक्लूसिव डायरेक्शंस के तहत प्रतिबंधित है, जिसके कारण उसके संचालन पर कई तरह की सीमाएँ लागू हैं।
3 नवंबर 2025 को जारी ईओआई नोटिस के अनुसार, बैंक वित्तीय संस्थानों, एनबीएफसी, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों, फिनटेक फर्मों, सहकारी संस्थाओं, ट्रस्टों तथा योग्य व्यक्तियों या पेशेवरों से पुनरुद्धार प्रस्ताव मांग रहा है। ईओआई जमा करने की अंतिम तिथि 3 दिसंबर 2025 तय की गई है, जबकि प्री-सबमिशन मीटिंग और ड्यू-डिलिजेंस 10 से 25 नवंबर 2025 के बीच आयोजित होंगे।
गौरतलब है कि मार्च 2019 तक बैंक का कारोबार 3,979 करोड़ रुपये था, लेकिन 2019–20 में आरबीआई की जांच के बाद इसकी वित्तीय स्थिति तेजी से बिगड़ गई। जांच में गंभीर गवर्नेंस विफलताएँ और धोखाधड़ीपूर्ण ऋण वितरण के मामले सामने आए, जिसके बाद आरबीआई ने धारा 35A के तहत प्रतिबंध लगाए और बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया।
बैंक के प्रशासक अजीत कृष्णन नायर ने कहा कि पुनरुद्धार योजना का उद्देश्य ऐसे निवेशकों को आकर्षित करना है, जो पर्याप्त पूंजी डालकर बैंक की नेटवर्थ बहाल कर सकें। उन्होंने बताया कि पुनरुद्धार प्रस्ताव में जमा देनदारियों को पूंजी साधनों में बदलने, विलय की संभावनाओं या बैंक को स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदलने जैसे विकल्प भी शामिल हैं, जिन पर आरबीआई की स्वीकृति आवश्यक होगी।
ईओआई दस्तावेज़ के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक बैंक का संचयी नुकसान 2,268 करोड़ रुपये था, जबकि लगभग 38,000 जमाकर्ताओं की कुल जमा राशि 1,940 करोड़ रुपये है। बैंक अब तक 714 करोड़ रुपये डीआईसीजीसी दावों के माध्यम से और 207 करोड़ रुपये अपने संसाधनों से चुका चुका है।
भारी वित्तीय संकट के बावजूद बैंक के पास बेंगलुरु में 30 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियाँ और सितंबर 2025 तक 571 करोड़ रुपये की तरलता मौजूद है। उत्साहजनक बात यह है कि यूनाइटेड फोरम ऑफ इंडिविजुअल डिपॉजिटर्स तथा कई सहकारी जमाकर्ताओं ने बैंक के पुनरुद्धार के लिए अपनी देनदारियों में 30% तक त्याग करने की इच्छा जताई है।
यह कदम 26 वर्ष पुराने इस शहरी सहकारी बैंक को पुनर्जीवित करने और जमाकर्ताओं के विश्वास को बहाल करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।



