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सहकारिता की भावना ने ‘हैंडमेड इंडिया’ को दी नई मजबूती

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित राष्ट्रीय हथकरघा एवं हस्तशिल्प सम्मेलन 2025 का सफल समापन हुआ। सम्मेलन में भारत के हस्तनिर्मित क्षेत्र को “विकसित भारत 2047” के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई। सम्मेलन का मूल संदेश था- “सहकारिता और समन्वय ही आत्मनिर्भर हस्तनिर्मित भारत की कुंजी हैं।”

दो दिवसीय इस आयोजन का संचालन वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त (हथकरघा) और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालयों द्वारा किया गया। इसमें देशभर के वरिष्ठ अधिकारी, नीति निर्माता और विशेषज्ञों ने भाग लिया। मुख्य फोकस-राज्य और केंद्र के बीच सहकारी दृष्टिकोण अपनाकर हथकरघा व हस्तशिल्प क्षेत्रों के एकीकृत और सतत विकास की रूपरेखा तैयार करना था।

वस्त्र मंत्रालय की सचिव श्रीमती नीलम शमी राव ने कहा कि पारंपरिक शिल्प कौशल और आधुनिक तकनीक के संतुलन से ही उत्पादकता और नवाचार में वृद्धि संभव है। उन्होंने राज्यों के बीच कच्चे माल और संसाधनों की निर्बाध आवाजाही के लिए सहकारी तंत्र को मजबूत करने पर बल दिया।

उन्होंने यह भी घोषणा की कि केंद्र और राज्यों के बीच संवाद और सहकारी भावना को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे सम्मेलन हर छह महीने में आयोजित किए जाएंगे।

विकास आयुक्त (हथकरघा) डॉ. एम. बीना ने राष्ट्रीय पारंपरिक वस्त्र मिशन (2026–31) का खाका प्रस्तुत किया, जो सहकारी संघवाद, महिला नेतृत्व, कौशल उन्नयन और नवाचार केंद्रों पर आधारित होगा। वहीं, विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) सुश्री अमृत राज ने विकेंद्रीकृत, सहकारी और परिणाम-आधारित शासन मॉडल की रूपरेखा रखी।

ओडिशा की अपर मुख्य सचिव एवं विकास आयुक्त श्रीमती अनु गर्ग ने कहा कि हथकरघा केवल कला नहीं, बल्कि सामुदायिक सहयोग और सहकारिता की जीवंत मिसाल है। उन्होंने कारीगरों की पहचान बढ़ाने और स्थायित्व-आधारित उत्पादन को प्रोत्साहन देने हेतु कई पहल की घोषणा की।

सम्मेलन में विभिन्न राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया गया और यह संकल्प लिया गया कि सहकारिता, नवाचार और परंपरा के संगम से भारत का हस्तनिर्मित क्षेत्र वैश्विक पहचान बनाएगा।

इस अवसर पर ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक थीम मंडप भी लगाया गया, जिसका उद्घाटन राज्य के मुख्य सचिव श्री मनोज आहूजा ने किया।

कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि “हैंडमेड इंडिया” की नई शक्ति सहकारिता के सूत्र में ही निहित है, जो परंपरा और प्रौद्योगिकी के सामंजस्य से भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर करेगी।

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