
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने सहकारी क्षेत्र को नई दिशा देने के उद्देश्य से 24 जुलाई 2025 को नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 की घोषणा की है। यह नीति सहकारी संस्थाओं के व्यवस्थित और समग्र विकास के लिए एक व्यापक ढांचा और रोडमैप प्रदान करती है।
मंत्री ने बताया कि इस नीति का मुख्य मिशन अगले दस वर्षों में 16 प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करना है। इन्हें छह रणनीतिक मिशन स्तंभों में विभाजित किया गया है। खास बात यह है कि नीति के अधिकांश बिंदुओं पर अमल की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
नीति के तहत पहला मिशन सहकारिता को मजबूती देने के लिए अनुकूल कानूनी और विनियामक वातावरण तैयार करना है, जिससे समितियों को अधिक स्वायत्तता, सुशासन और पारदर्शिता मिल सके। दूसरा मिशन सहकारी समितियों को अन्य आर्थिक संस्थाओं की तरह सुलभ और किफायती वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना और समान व्यावसायिक अवसर प्रदान करना है।
तीसरे स्तंभ में सहकारी समितियों के बीच सहयोग और नेटवर्किंग को बढ़ावा देने, उनके ढांचे को मजबूत करने और भौगोलिक पहुंच का विस्तार करने पर जोर दिया गया है। चौथा मिशन समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना है, जिसमें प्रौद्योगिकी का उपयोग, पेशेवर प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।
नीति का पांचवां स्तंभ समावेशिता और सदस्य-केंद्रितता को बढ़ावा देना है, ताकि सहकारी आंदोलन देश के हर कोने तक पहुंचे और युवाओं व महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो सके। छठा मिशन सहकारी समितियों की नए और उभरते क्षेत्रों में भागीदारी सुनिश्चित करना तथा पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को प्रोत्साहित करना है।
इसके अतिरिक्त नीति में सहकारी क्षेत्र के लिए कुशल मानव संसाधन और पेशेवर प्रशिक्षण का पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का भी प्रावधान है। इसके अंतर्गत युवाओं को सहकारी उद्यमों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना, मानकीकृत सहकारिता पाठ्यक्रम तैयार करना और प्रशिक्षकों व विजिटिंग फैकल्टी की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है।
सरकार का मानना है कि नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 से सहकारी समितियां भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में अधिक सक्षम होंगी और ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक आर्थिक सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभाएंगी।