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अमित शाह का आह्वान: आईवाईसी 2025 के तहत कोऑप्स का हर तहसील में हो विस्तार

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने मुंबई में ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025’ के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के लिए सहकारिता केवल आर्थिक व्यवस्था नहीं बल्कि एक परंपरागत जीवन दर्शन है। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल सहित कई लोग उपस्थित थे।

शाह ने कहा कि भारत में लगभग 125 वर्ष पुराना सहकारिता आंदोलन किसानों, ग्रामीणों, महिलाओं और गरीबों का मजबूत सहारा रहा है। उन्होंने अमूल, भारतीय कृषक सहकारी उर्वरक लिमिटेड (इफको), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफेड) जैसी संस्थाओं की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि अमूल के साथ 36 लाख ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं जिनका वार्षिक कारोबार 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

उन्होंने बताया कि इफको और कृभको जैसे संगठन किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपज लेकर उसे सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों को निःशुल्क वितरित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। नाफेड के ‘मॉडल ऐप’ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से किसान अपनी उपज जैसे दाल और मक्का एमएसपी पर बेच सकते हैं। इससे किसानों को अधिक योजना के साथ खेती करने का अवसर मिलेगा।

कार्यक्रम में नाफेड के नए उत्पाद, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को अनुदान और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के साथ अनुबंध को औपचारिक रूप दिया गया। शाह ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय देशभर में दो लाख नई पैक्स स्थापित करेगा ताकि प्रत्येक पंचायत स्तर पर बहु-आयामी सहकारी समितियाँ स्थापित की जा सकें।

शाह ने कहा कि अब पीएसीएस सिर्फ कृषि ऋण तक सीमित नहीं हैं। उन्हें जन औषधि केंद्र, पेट्रोल पंप, जल वितरण, गोदाम, सहकारी टैक्सी सेवा, रेल-हवाई टिकट बुकिंग और 300 से अधिक सेवाओं के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप में कार्य करने की अनुमति दी गई है। 52,000 से अधिक पीएसीएस का कंप्यूटरीकरण हो चुका है और उन्हें स्थानीय भाषा में डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है।

उन्होंने बताया कि सरकार ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया है। साथ ही, सहकारी बीमा क्षेत्र में पूर्ण स्वामित्व वाली बीमा कंपनी और सहकारी टैक्सी मॉडल की भी शुरुआत की जाएगी जिसमें ड्राइवर मालिक होंगे और लाभ सीधे उनके खाते में जाएगा।

श्री शाह ने बताया कि सहकारी संस्थाओं को आयकर अधिनियम में राहत दी गई है — अधिभार 12% से घटाकर 7% और न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) 18.5% से घटाकर 15% कर दिया गया है। 2 लाख रुपये तक के लेन-देन पर आयकर दंड से भी छूट दी गई है।

पिछले तीन वर्षों में सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल), राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल) और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) की स्थापना की है। ये संगठन किसानों की उपज को वैश्विक बाजारों तक पहुंचाएंगे और उन्हें उचित लाभ दिलाएंगे। ‘भारत ऑर्गेनिक’ ब्रांड के माध्यम से जैविक उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान दिलाने की योजना है।

शाह ने बताया कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के माध्यम से 1.38 लाख करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। मछली पालन, डेयरी क्षेत्र और एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।

समापन में शाह ने कहा कि भारत को केवल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से नहीं, बल्कि रोजगार के अवसरों से भी सशक्त बनाना होगा। सहकारिता एक ऐसा माध्यम है जो कम पूंजी में ज्यादा लोगों को जोड़कर अधिक मुनाफा देने की क्षमता रखता है।

उन्होंने आश्वासन दिया कि अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 को भारत में एक ऐतिहासिक अवसर बनाते हुए हर गांव, हर जिले, हर तहसील तक सहकारिता की शक्ति को पहुंचाया जाएगा।

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