
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) की 92वीं महापरिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद देश के सहकारी क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उन्होंने कहा कि एनसीडीसी इस परिवर्तन का आधार स्तंभ बनकर उभरा है और सहकारिता आंदोलन किसानों, ग्रामीण परिवारों, मत्स्यपालकों और छोटे उद्यमियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहा है।
शाह ने बताया कि एनसीडीसी का कुल संवितरण वित्त वर्ष 2020-21 के 24,700 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 95,200 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। पिछले चार वर्षों में संगठन ने वित्तीय समावेशन, नवाचार और विस्तार में नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं।
उन्होंने कहा कि भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सहकारिता सबसे प्रभावी मॉडल है, क्योंकि यह ग्रामीण भागीदारी और आजीविका सुनिश्चित करता है। बीते चार वर्षों में एनसीडीसी ने 40% से अधिक चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की है, शुद्ध एनपीए शून्य रखा है और 807 करोड़ रुपये का सर्वोच्च शुद्ध लाभ अर्जित किया है।
शाह ने उल्लेख किया कि एनसीडीसी ने राज्य सहकारी बैंकों, डीसीसीबी और स्टेट मार्केटिंग फेडरेशनों के माध्यम से डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र और विपणन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पैक्स को किसान उत्पादक संगठन के रूप में मजबूत करने के प्रयास भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।
उन्होंने कहा कि जैविक खेती और ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देने में एनसीईएल, बीबीएसएसएल और एनसीओएल जैसी बहु-राज्य सहकारी समितियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। मत्स्य क्षेत्र में एनसीडीसी ने 1,070 एफएफपीओ के गठन का लक्ष्य पूरा किया है और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना के तहत 2,348 एफएफपीओ को सुदृढ़ बनाया जा रहा है।
महाराष्ट्र और गुजरात में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने हेतु ट्रॉलरों की खरीद के लिए एनसीडीसी द्वारा दी गई वित्तीय सहायता से ब्लू इकोनॉमी को मजबूती मिली है और मत्स्य समुदाय, विशेषकर महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है।
शाह ने कहा कि चीनी और डेयरी क्षेत्र में लाभ बढ़ाने के लिए सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सहकारी चीनी मिलों के आधुनिकीकरण हेतु सरकार द्वारा दिए गए 1,000 करोड़ रुपये के अनुदान के आधार पर एनसीडीसी ने 56 मिलों को इथेनॉल संयंत्र, को-जेनरेशन और कार्यशील पूंजी के लिए 10,005 करोड़ रुपये का संवितरण किया है।
उन्होंने कहा कि एनसीडीसी “भारत टैक्सी”- एक सहकारी राइड-हेलिंग सेवा- की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। नई बहु-राज्य समिति का पंजीकरण पूरा हो चुका है और ड्राइवर सदस्यता सहित तकनीकी विकास जारी है।
एनसीडीसी ने विजयवाड़ा में क्षेत्रीय कार्यालय और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड में उप-कार्यालय स्थापित कर सहकारिता को दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचाया है।
स्वीकृत 2,000 करोड़ रुपये के सरकारी अनुदान के आधार पर एनसीडीसी 20,000 करोड़ रुपये जुटाकर डेयरी, पशुधन, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोरेज, कृषि और महिला सहकारी समितियों को रियायती दरों पर पूंजी उपलब्ध करा रहा है। संस्था ने शहरी सहकारी बैंकों के अंब्रेला संगठन और सहकार सारथी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए एनसीडीसी का “कोऑपरेटिव इंटर्न” कार्यक्रम भी प्रभावी रूप से संचालित हो रहा है।
महापरिषद की बैठक में 51 सदस्य शामिल रहे, जिनमें विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकारों, शीर्ष सहकारी संगठनों और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।



