
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान अक्टूबर 2025 तक 49,799.06 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है। वित्त वर्ष 2024-25 में एनसीडीसी द्वारा 95,182.88 करोड़ रुपये का वितरण किया गया था, जो वर्ष 2014-15 के 5,735.51 करोड़ रुपये की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। यह उपलब्धि देश में सहकारी क्षेत्र की सशक्त वित्तीय प्रगति और विस्तार को दर्शाती है।
एनसीडीसी ने समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25 के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सहकारी समितियों को 57.78 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया। वहीं, वर्ष 2022-25 के बीच महिलाओं द्वारा संचालित सहकारी समितियों को अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं के लिए 2.37 करोड़ रुपये की सहायता दी गई।
एनसीडीसी की वित्तीय सहायता से कई सहकारी संस्थानों ने सफलता हासिल की है, जिनमें गुजरात राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड, हिमाचल प्रदेश की लाहौल आलू उत्पादक सहकारी समिति, झारखंड महिला स्वावलंबी कुक्कुट सहकारी संघ और महाराष्ट्र की विट्ठलराव शिंदे सहकारी साखर कारखाना शामिल हैं। ये संस्थान भारत के सहकारी आंदोलन की मजबूती और विविधता के उदाहरण हैं।
भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत 1963 में स्थापित एनसीडीसी का उद्देश्य कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन, हथकरघा, रेशम उत्पादन, विपणन, भंडारण और प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में सहकारी समितियों को प्रोत्साहन देना और वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
सहकारी चीनी मिलों के सशक्तीकरण हेतु एनसीडीसी को 2022-23 से 2024-25 के बीच 1,000 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है, जिसके तहत 56 सहकारी चीनी मिलों को इथेनॉल और सह-उत्पादन संयंत्रों के लिए 10,005 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। ऋण को अधिक सुलभ बनाने के लिए एनसीडीसी ने वित्तपोषण अनुपात को 90:10 कर दिया है और ब्याज दर को घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है।
भारत में लगभग 8.44 लाख सहकारी समितियां सक्रिय हैं, जिनमें 30 करोड़ से अधिक सदस्य जुड़े हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका को सशक्त बनाने में सहकारी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका के साथ, एनसीडीसी देश में एक आत्मनिर्भर और समावेशी सहकारी इकोसिस्टम को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।



