
महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 के अनुरूप राज्य सहकारी नीति संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस उद्देश्य के लिए गठित समिति की पहली बैठक सोमवार को मुंबई स्थित महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक मुख्यालय में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने की।
बैठक का उद्देश्य किसानों, महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण के साथ-साथ पारदर्शिता और दक्षता को ध्यान में रखते हुए एक नई एवं आधुनिक सहकारी नीति का ढांचा तैयार करना था।
बैठक में महाराष्ट्र सहकारी आयुक्त ने राष्ट्रीय सहकारी नीति पर एक पावरपॉइंट प्रस्तुति दी और उसके प्रमुख उद्देश्यों तथा रूपरेखा की जानकारी साझा की।
हालांकि, सूत्रों के अनुसार यह बैठक मुख्य रूप से प्रारंभिक और प्रक्रियात्मक थी, जिसमें कोई बड़ा निर्णय या विस्तृत चर्चा नहीं हुई। प्रतिभागियों ने सुझाव दिया कि आगामी सप्ताहों में विभागवार बैठकों का आयोजन किया जाए ताकि क्षेत्र-विशेष चिंताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सके।
बैठक के बाद एमएससी बैंक प्रशासनिक बोर्ड के अध्यक्ष विद्याधर अनासकर ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि समिति के सभी सदस्यों को राष्ट्रीय सहकारी नीति का गहन अध्ययन कर राज्य स्तर पर आवश्यक संशोधनों की पहचान करने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा, “हमें यह तय करना होगा कि क्या राज्य नीति में क्रॉस-सेक्टर सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही, जबकि राजनीतिक भागीदारी आवश्यक है, सहकारिता को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रहना चाहिए।”
अनासकर ने यह भी कहा कि सहकारी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव लाने के प्रयास जरूरी हैं। “हमें प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से सहकारी हितधारकों में सकारात्मक और प्रगतिशील दृष्टिकोण विकसित करना होगा,” उन्होंने जोड़ा।
बैठक में आरबीआई बोर्ड सदस्य एवं वरिष्ठ सहकारी नेता सतीश मराठे, और महाराष्ट्र सहकारी क्रेडिट सोसाइटीज फेडरेशन के अध्यक्ष काकासाहेब कोयटे भी उपस्थित थे। कोयटे ने राष्ट्रीय नीति में क्रेडिट सोसाइटीज पर सीमित ध्यान दिए जाने पर चिंता व्यक्त की।
बैठक के दौरान राज्य स्तर पर नीति संशोधन के लिए निर्धारित सख्त समयसीमा पर भी चर्चा हुई। सदस्यों ने कहा कि जहां राष्ट्रीय सहकारी नीति को तैयार करने में लगभग तीन वर्ष लगे, वहीं समिति को महाराष्ट्र सहकारी नीति को अंतिम रूप देने के लिए केवल तीन महीने का समय दिया गया है। इस कारण सदस्यों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की।



