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भारतीय सहकारिताओं की वैश्विक स्तर पर चमक; अमूल और इफको विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर

भारत के सहकारिता आंदोलन को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस (आईसीए) और यूरोपियन रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन कोऑपरेटिव एंड सोशल एंटरप्राइजेज द्वारा जारी वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 में अमूल ब्रांड के नाम से दूध और दूध उत्पाद बेचने वाली कंपनी-जीसीएमएमएफ और उर्वरक सहकारी संस्था इफको ने क्रमशः पहला और दूसरा स्थान हासिल किया है।

दोहा में विश्व सामाजिक सम्मेलन के दौरान जारी इस 13वें संस्करण में बताया गया है कि विश्व की शीर्ष 300 सहकारी और म्यूचुअल संस्थाओं ने वर्ष 2023 में सामूहिक रूप से 2.79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार किया।

इन दोनों सहकारी संस्थाओं ने टर्नओवर टू जीडीपी प्रति व्यक्ति अनुपात के आधार पर शीर्ष स्थान प्राप्त किया है, जिससे यह सिद्ध होता है कि आर्थिक अनिश्चितता और पारिस्थितिक संक्रमण के दौर में भी भारत का सहकारी मॉडल सशक्त और प्रासंगिक बना हुआ है।

इस रैंकिंग में इफको का प्रदर्शन अत्यंत उल्लेखनीय और प्रेरणादायक रहा है। यह संस्था न केवल लाखों किसानों को सतत उर्वरक उत्पादन, डिजिटल नवाचारों और पर्यावरणीय पहल के माध्यम से सशक्त बना रही है, बल्कि सहकारिता के मूल सिद्धांतों को भी नई ऊँचाइयों पर पहुँचा रही है। किसान-केन्द्रित दृष्टिकोण के चलते इफको ने अपने लाभ को हमेशा समुदाय कल्याण, हरित विकास और तकनीकी प्रगति में पुनर्निवेश किया है, जिससे यह आज विश्व सहकारिता सफलता का प्रतीक बन चुकी है।

इसी तरह, अमूल का विशाल डेयरी नेटवर्क ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता और साझा स्वामित्व की भावना का जीवंत उदाहरण है। यह मॉडल न केवल लाखों दुग्ध उत्पादक किसानों के जीवन में समृद्धि लेकर आया है, बल्कि भारत की खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और एग्रो-बिजनेस क्षेत्र में सहकारिता की शक्ति को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है।

आईसीए के महानिदेशक जेरोन डगलस ने कहा कि यह रैंकिंग सहकारी मॉडल को वैश्विक स्थिरता और सामाजिक समानता का प्रमुख प्रेरक सिद्ध करती है। उन्होंने कहा, “इस वर्ष का मॉनिटर दिखाता है कि सहकारिताएं न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए आवश्यक हैं, बल्कि वे वैश्विक चुनौतियों का समाधान भी प्रस्तुत करती हैं।”

संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर, विश्व सहकारिता मॉनिटर 2025 यह संदेश देता है कि इफको और अमूल जैसी संस्थाओं के माध्यम से भारतीय सहकारिता भावना न केवल देश में, बल्कि विश्व स्तर पर समानता, स्थिरता और सामूहिक विकास की मिसाल बन रही है।

भारत के गांवों से लेकर वैश्विक मंच तक, सहकारी समितियां यह साबित कर रही हैं कि सामूहिक प्रयास मानवता की सबसे बड़ी परिवर्तनकारी शक्ति है।

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