
शनिवार को एनसीयूआई मुख्यालय में आयोजित एनसीसीएफ की वार्षिक सामान्य बैठक (एजीएम) में अध्यक्ष विशाल सिंह का आत्मविश्वास और कुशल नेतृत्व सबसे आकर्षक पहलू रहा। दिग्गज सहकारी नेता जैसे दिलीप संघाणी, चंद्रपाल सिंह यादव और बिजेंद्र सिंह की मौजूदगी के बावजूद, उन्होंने पूरी तत्परता और आत्मविश्वास के साथ बैठक का संचालन किया।
बैठक के दौरान वह हाथ में माइक्रोफोन लेकर समय-समय पर हस्तक्षेप करते रहे, जिससे सभी चर्चाएँ अनुशासित और सुचारू रूप से आगे बढ़ीं।
इस एजीएम में एनसीसीएफ के शेयरधारक और सहकारी नेताओं ने खुलकर विचार-विमर्श किया। छोटे हॉल की अंतरंगता ने संवाद को और सहज बना दिया। कई महत्वपूर्ण मुद्दों का तुरंत निपटारा हुआ, और कार्यप्रणाली भी काफी प्रभावशाली रही, सदस्यों ने मुद्दे उठाए, विशाल ने अनुभवी सहकारी नेताओं जैसे संघाणी और बिजेंद्र सिंह से मार्गदर्शन लिया और सामान्य निकाय के समर्थन से त्वरित निर्णय लिया गया।
दो निर्णय विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे। पहला, एनसीसीएफ की खरीद प्रक्रिया को सदस्य समितियों के माध्यम से आगे बढ़ाना, जैसा हाल ही में नेफेड की एजीएम में घोषित किया गया था। दूसरा, यात्रा भत्ते का विषय था। जब एक सदस्य ने प्रतिदिन केवल 250 रुपये भत्ते की ओर ध्यान आकर्षित किया, तो विशाल ने संघाणी से सलाह ली। संघाणी के सुझाव पर एनसीसीएफ का यात्रा भत्ता इफ्को के स्तर के बराबर कर दिया गया, जिसे सुनते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
विशाल की नेतृत्व क्षमता का उदाहरण तब भी देखने को मिला जब बिहार के एक प्रतिनिधि ने हाल में बिस्कोमान पर नियंत्रण संबंधी टिप्पणी की। प्रतिनिधि ने कहा कि कई सदस्य पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह के खेमे से “यू-टर्न” लेकर उनके पक्ष में आए हैं। विशाल ने तुरंत स्पष्ट किया, “नहीं, आपने कोई यू-टर्न नहीं लिया है, यह केवल आपकी घर वापसी हुई है।”
विशाल की सहकारी विरासत अत्यंत समृद्ध है। उनके दादा तपेश्वर सिंह एनसीयूआई के पूर्व अध्यक्ष और दिग्गज सहकारी नेता रहे, जबकि उनके पिता अजीत सिंह नेफेड के पूर्व चेयरमैन थे। एजीएम में उन्होंने यह साबित किया कि वे इस विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी हैं।
हिंदी में सहजता न रखने वाली एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक के संबोधन के दौरान विशाल ने अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उन्होंने सदस्यों से तालियां बजाने का आग्रह किया, जिससे सभा में उत्साह का माहौल बना और यह स्पष्ट हुआ कि वे सभी को साथ लेकर चलने में दृढ़ विश्वास रखते हैं।
कुल मिलाकर, यह एजीएम केवल निर्णायक फैसलों की बैठक नहीं रही, बल्कि यह साबित किया कि विशाल परंपरा, सम्मान और सशक्त नेतृत्व के बीच संतुलन बनाने में निपुण हैं और सहकारी क्षेत्र में एक प्रभावशाली उभरते नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं।