
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि वित्त वर्ष 2024–25 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने मिलकर सहकारी बैंकों को 42,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की।
नाबार्ड के वितरण में मध्य प्रदेश को सबसे अधिक 4,430 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, इसके बाद ओडिशा (4,113 करोड़ रुपये) और कर्नाटक (3,655.52 करोड़ रुपये) को लाभ मिला। अन्य प्रमुख आवंटनों में तमिलनाडु (2,946.49 करोड़ रुपये), राजस्थान (2,760.75 करोड़ रुपये), आंध्र प्रदेश (2,716.55 करोड़ रुपये), महाराष्ट्र (2,696.26 करोड़ रुपये) और गुजरात (1,691.31 करोड़ रुपये) शामिल हैं। छोटे राज्यों में सिक्किम (3.10 करोड़ रुपये), गोवा (23.97 करोड़ रुपये), नागालैंड (33 करोड़ रुपये), मिजोरम (12.60 करोड़ रुपये) और मणिपुर (7.81 करोड़ रुपये) को सीमित धनराशि आवंटित हुई।
एनसीडीसी ने भी इसी अवधि में महत्वपूर्ण सहयोग दिया। इसमें आंध्र प्रदेश (3,730 करोड़ रुपये) और तेलंगाना (2,000 करोड़ रुपये) शीर्ष लाभार्थी रहे, जबकि मध्य प्रदेश (291 करोड़ रुपये) और राजस्थान (77 करोड़ रुपये) को भी वित्तीय सहयोग मिला। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बिहार को एनसीडीसी से कोई राशि प्राप्त नहीं हुई।
मंत्री ने आगे बताया कि पश्चिम बंगाल की एक शहरी सहकारी बैंक को छोड़कर देश की सभी सहकारी बैंकें अब कोर बैंकिंग समाधान (CBS) प्लेटफॉर्म पर संचालित हो रही हैं। इसे सहकारी क्षेत्र के डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, जिससे पारदर्शिता, कार्यकुशलता और जोखिम प्रबंधन मजबूत होगा।
31 मार्च 2025 तक देश में 34 राज्य सहकारी बैंक, 352 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और 1,457 शहरी सहकारी बैंक कार्यरत थे। विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय प्रवाह और डिजिटल एकीकरण के साथ सहकारी बैंकिंग क्षेत्र आने वाले वर्षों में ग्रामीण विकास और वित्तीय समावेशन में और अधिक प्रभावी भूमिका निभाएगा।