
वर्ष 2020-21 में शुरू हुई कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) योजना किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो रही है। 30 जून 2025 तक, योजना के तहत 66,310 करोड़ रुपये की राशि से देशभर में 1,13,419 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिससे कुल 1,07,502 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया गया है। इसमें 8,258 करोड़ रुपये की लागत वाली 2,454 कोल्ड स्टोरेज परियोजनाएं भी शामिल हैं, जो फसल की गुणवत्ता, भंडारण अवधि और विपणन क्षमता को बढ़ा रही हैं।
योजना के तहत 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर सात वर्ष तक 3% वार्षिक ब्याज सब्सिडी और सीजीटीएमएसई के तहत क्रेडिट गारंटी सुविधा उपलब्ध है। सरकार गारंटी शुल्क भी वहन करती है, जिससे किसानों व कृषि-उद्यमियों के लिए उधार की लागत कम होती है।
अगस्त 2024 में केंद्र सरकार ने योजना का दायरा बढ़ाकर प्राथमिक व द्वितीयक प्रसंस्करण परियोजनाओं, पीएम-कुसुम कंपोनेंट-ए के तहत सौर ऊर्जा आधारित ढांचों, और एनएबी संरक्षण ट्रस्टी कंपनी के माध्यम से एफपीओ को व्यापक गारंटी कवर देने का प्रावधान किया।
कृषि विपणन अवसंरचना योजना के तहत अब तक 49,796 भंडारण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। मत्स्य क्षेत्र में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 20,050 करोड़ रुपये के प्रावधान के मुकाबले जुलाई 2025 तक 5,587.57 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिससे 46.86 लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है। वहीं सूक्ष्म सिंचाई कोष (एमआईएफ) के अंतर्गत 4,709 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत और 3,640 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
डिजिटल एकीकरण के तहत एफपीओ को ई-नाम, ओएऩडीसी और जेम से जोड़ा गया है। 30 जून 2025 तक ई-नाम पर 1.79 करोड़ किसान और 2.67 लाख व्यापारी पंजीकृत हो चुके हैं, जिससे 4.39 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है।
ओडिशा की श्री माँ माज्जी गौरी काजू इंडस्ट्री से जुड़ी सफलता की कहानियां इस योजना के प्रभाव को साबित करती हैं। 2022 में 42.75 लाख रुपये के एआईएफ ऋण से शुरू हुई यह इकाई आज 20 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार दे रही है, 40 किसानों को जोड़ रही है और सालाना 2.48 करोड़ रुपये का कारोबार करने की राह पर है।
सरकार का दावा है कि वित्तीय सहयोग, अवसंरचना निर्माण, तकनीक अपनाने और बाजार जोड़ने के माध्यम से एआईएफ और संबद्ध योजनाएं न सिर्फ कृषि को प्रतिस्पर्धी बना रही हैं, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण विकास को गति देने में अहम भूमिका निभा रही हैं।