
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल, मुरलीधर मोहोल, मंत्रालय के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय का उद्देश्य सहकारी समितियों को जीवंत और सफल व्यावसायिक इकाइयों में परिवर्तित करना है। उन्होंने जानकारी दी कि देश में आगामी पांच वर्षों में दो लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियाँ स्थापित करने के लक्ष्य के तहत अब तक 35,395 नई समितियाँ बनाई जा चुकी हैं। इनमें 6,182 बहुउद्देशीय पैक्स, 27,562 डेयरी और 1,651 मत्स्य सहकारी समितियाँ शामिल हैं।
शाह ने कहा कि भूमिहीन और पूंजीहीन व्यक्तियों के लिए सहकारिता ही समृद्धि का सबसे मजबूत जरिया है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में तीन राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी समितियाँ बनाई गई हैं। पहली, राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड (एनसीओएल), जो किसानों के जैविक उत्पादों की प्रमाणिकता, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और विपणन सुनिश्चित करती है। दूसरी, राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल), जो किसानों के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में मदद करती है। तीसरी, भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल), जो देश के पारंपरिक बीजों के संरक्षण और उनके उत्पादन के क्षेत्र में काम कर रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि छोटे किसानों को परंपरागत बीजों से जोड़ने के लिए सरकार अनुबंध मॉडल भी लाने जा रही है।
अमित शाह ने समिति के सदस्यों से अपने-अपने राज्यों में डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने पर बल देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने बीते चार वर्षों में पैक्स, डेयरी, मत्स्य, सहकारी बैंक, चीनी सहकारी समितियों और गवर्नेंस सिस्टम को सशक्त करने के लिए 100 से अधिक पहलों की शुरुआत की है। ये पहलें डिजिटल सुधार, नीतिगत बदलाव, वित्तीय सहायता और संस्थागत क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों को कवर करती हैं।
बैठक में मंत्रालय ने समिति को पिछले चार वर्षों में की गई पहलों की प्रस्तुति दी। मंत्रालय ने बताया कि इन पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी), राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनएलसीसी), राज्य और जिला सहकारी विकास समितियाँ (एससीडीसी और डीसीडीसी) जैसी संस्थागत व्यवस्थाएं तैयार की गई हैं।
एक अहम जानकारी साझा करते हुए मंत्रालय ने बताया कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी को संसदीय अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। यह यूनिवर्सिटी सहकारी शिक्षा व प्रशिक्षण को एकीकृत कर देश को कुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराएगी।
श्वेत क्रांति 2.0 के तहत अगले पांच वर्षों में दुग्ध संग्रहण को 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 15,691 नई डेयरी सहकारी समितियाँ पंजीकृत की गई हैं और 11,871 मौजूदा समितियों को सशक्त किया गया है। इसके अतिरिक्त, एनडीडीबी और 15 राज्यों की 25 मिल्क यूनियनों ने डेयरी समितियों में बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए समझौते किए हैं।
अंत में, परामर्शदात्री समिति ने सहकारी क्षेत्र को और सशक्त करने के लिए अपने सुझाव दिए और मंत्रालय ने ग्रामीण भारत में विकास, समानता और आत्मनिर्भरता के इंजन के रूप में सहकारी समितियों की भूमिका को पुनः पुष्ट किया।