
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तीन सहकारी बैंकों-इरीनजालकुड़ा टाउन कोऑपरेटिव बैंक (केरल), लोकपावनी महिला सहकारी बैंक नियमिता (कर्नाटक), और सोनपेठ नागरी सहकारी बैंक मर्यादित (महाराष्ट्र)- पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) ने डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के तहत जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाया है।
डीआईसीजीसी की अधिसूचना के अनुसार, पात्र जमाकर्ताओं को प्रत्येक व्यक्ति के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये तक का मुआवजा मिलेगा। इस बीमा राशि का लाभ उठाने के लिए, जमाकर्ताओं को मान्य पहचान दस्तावेजों के साथ-साथ एक लिखित स्वीकृति पत्र देना अनिवार्य होगा, जिसमें वे राशि प्राप्त करने की सहमति देंगे।
दावा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 13 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है। जमाकर्ताओं को अपने किसी वैकल्पिक बैंक खाते का विवरण देना होगा, जिसमें यह राशि ट्रांसफर की जा सके। यदि वे चाहें, तो यह राशि उनके आधार-लिंक्ड बैंक खाते में भी जमा करवाई जा सकती है।
भुगतान की तिथि 28 अक्टूबर 2025 निर्धारित की गई है, बशर्ते संबंधित बैंक 45 दिनों की समय-सीमा के भीतर आवश्यक दावों की सूची डीआईसीजीसी को सौंप दें।