
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने हाल ही में नगरिक सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से आग्रह किया है कि वे सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी कोष न्यास (सीजीटीएमएसई) की क्रेडिट गारंटी योजना के अंतर्गत सदस्य ऋणदाता संस्थान (एमएलआई) के रूप में पंजीकरण कराएं।
यह आग्रह 28 फरवरी 2025 से प्रभावी पंजीकरण पात्रता मानदंडों में किए गए संशोधनों के बाद सामने आया है। इस निर्णय से सहकारी बैंकों की एमएसई क्षेत्र में भागीदारी बढ़ेगी और पहले की बाधाएं समाप्त होंगी।
संशोधित मानदंडों के अनुसार, अब वे सहकारी बैंक भी इस योजना में पात्र हैं जिनका सकल अनुत्पादक परिसंपत्ति (ग्रॉस एनपीए) स्तर 7 प्रतिशत तक है, जबकि पहले यह सीमा 5 प्रतिशत थी। साथ ही, अब बैंकों को पिछले तीन में से कम से कम दो वित्तीय वर्षों में शुद्ध लाभ दर्ज करना अनिवार्य होगा; जबकि पहले लगातार तीन वर्षों तक लाभ में रहना आवश्यक था।
एक अन्य प्रमुख परिवर्तन यह है कि अनुसूचित नगरिक सहकारी बैंकों के लिए पूर्व में निर्धारित 750 करोड़ रुपये की मांग और समय देनदारियाँ (डीटीएल) की शर्त को हटा दिया गया है, जिससे छोटे और मध्यम आकार के बैंकों के लिए इस योजना से जुड़ना अब सरल हो गया है।
वर्तमान में कुल 115 सहकारी बैंक इस योजना के अंतर्गत सदस्य ऋणदाता संस्थान के रूप में पंजीकृत हैं, जिनमें 15 अनुसूचित नगरिक सहकारी बैंक और 100 अन्य बैंक (जैसे राज्य सहकारी बैंक, गैर-अनुसूचित नगरिक सहकारी बैंक, और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक) शामिल हैं। सीजीटीएमएसई ने स्पष्ट किया है कि इस समय कोई भी आवेदन लंबित नहीं है और भविष्य के सभी आवेदन संशोधित मानदंडों के अनुसार शीघ्रता से निपटाए जाएंगे।
इस पहल का उद्देश्य सहकारी बैंकों को क्रेडिट गारंटी तंत्र के तहत लाकर, बिना जमानत ऋण की उपलब्धता को बढ़ावा देना है, जिससे स्वरोजगार, उद्यमिता और समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
मंत्रालय ने सभी पात्र सहकारी बैंकों से इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने और देश के ग्रामीण तथा स्थानीय स्तर पर अपने ऋण वितरण नेटवर्क को सशक्त बनाने का आग्रह किया है।