
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति – 2025 का अनावरण किया। इस अवसर पर सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, मुरलीधर मोहोल, सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु सहित कई लोगमौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने बताया कि सहकारिता नीति-2025 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने कहा कि इस नीति के माध्यम से सहकारी क्षेत्र का भारत की जीडीपी में योगदान वर्ष 2034 तक तीन गुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
शाह ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक-संपन्न और आत्मनिर्भर सहकारी इकाइयों का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि यह नीति देश के 140 करोड़ लोगों, गांव, किसान, महिलाओं, दलितों और आदिवासियों को केंद्र में रखकर तैयार की गई है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए सहकारिता को विकास का इंजन बनाया जाएगा और प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करने की योजना है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में 50 करोड़ नागरिकों को सहकारी क्षेत्र से जोड़ा जाएगा, जो फिलहाल इसके सक्रिय सदस्य नहीं हैं। इसके साथ ही सहकारी समितियों की संख्या में 30% वृद्धि की जाएगी, वर्तमान में 8.3 लाख समितियां कार्यरत हैं।
शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को कॉरपोरेट के समकक्ष खड़ा करने के लिए विगत वर्षों में महत्वपूर्ण पहल की गई हैं। वर्ष 2020 तक जिसे मृतप्राय माना जा रहा था, आज वही क्षेत्र भविष्य की आशा बन गया है।
उन्होंने बताया कि नीति निर्माण में 750 सुझाव, 17 बैठकें, और आरबीआई व नाबार्ड से परामर्श शामिल रहा, जिससे यह नीति समावेशी और दूरदर्शी बनी।
उन्होंने कहा कि नीति के 83 हस्तक्षेप बिंदुओं में से 58 पर काम पूरा हो चुका है, तीन पूर्ण रूप से लागू हैं और शेष पर शीघ्र शुरुआत की जाएगी।
नई नीति में महिला, युवा, दलित और आदिवासी वर्ग की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। शाह ने कहा कि सहकारी क्षेत्र को एक ऐसा क्षेत्र बनाया जाएगा जहां युवा अच्छी शिक्षा लेकर करियर बना सकें।
उन्होंने कहा कि टैक्सी, बीमा, हरित ऊर्जा, ऑर्गेनिक खेती और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहकारी मॉडल को लागू करने की योजना है। ‘सहकार टैक्सी’ जैसी पहलें इस दिशा में जल्दी शुरू होंगी।
अंत में, श्री अमित शाह ने कहा कि यह सहकारिता नीति न केवल सहकारी आंदोलन को 2047 तक मजबूती देगी, बल्कि देश के आर्थिक विकास में इसकी भूमिका को केंद्रीय बनाएगी। उन्होंने इसे एक समावेशी, आत्मनिर्भर और भविष्यगामी सहकारिता मॉडल करार दिया।