
सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज (सीआरसीएस) कार्यालय ने सोमवार को मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटियों द्वारा नई शाखाएं खोलने को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब सोसाइटियों को शाखा खोलने से पहले सीआरसीएस से पूर्वानुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
संशोधित दिशानिर्देशों के तहत, सभी सोसाइटियों को अब सीआरसीएस पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा और 18 प्रकार के दस्तावेजों का विस्तृत सेट प्रस्तुत करना होगा।
इन दस्तावेजों में शाखा खोलने का औचित्य, यह घोषणा कि संस्था के विरुद्ध जमा राशि न लौटाने जैसी कोई शिकायत लंबित नहीं है, एजीएम अथवा विशेष आमसभा में पारित प्रस्ताव की प्रति, बीते तीन वर्षों की सदस्यता जानकारी, शाखा-वार जमा विवरण, व्यवसायिक प्रदर्शन, निवेश पैटर्न, वित्तीय नतीजे, बोर्ड चुनाव का विवरण और धारा 120 के अंतर्गत दाखिल वैधानिक रिटर्न शामिल हैं।
इसके अलावा, आवेदन के साथ उस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के सहकारी रजिस्ट्रार द्वारा जारी एक प्रमाणपत्र भी आवश्यक होगा, जिसमें यह पुष्टि हो कि संबंधित संस्था गैर-मतदाता सदस्यों से जमा स्वीकार नहीं कर रही है।
थ्रिफ्ट और क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटियों के लिए दिशानिर्देश और भी सख्त किए गए हैं। इन संस्थाओं को पाँच ऑडिटर-प्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जिनमें सीआरएआर अनुपालन, सकल एनपीए 7% से कम, शुद्ध एनपीए 3% से कम, पिछले तीन वर्षों का निरंतर शुद्ध लाभ, पर्याप्त तरलता भंडार और सुदृढ़ आंतरिक नियंत्रण प्रणाली की पुष्टि शामिल है। इसके अतिरिक्त, प्रभावी केवाईसी प्रक्रिया और शिकायत निवारण प्रणाली भी अनिवार्य शर्तों में शामिल हैं।
नए नियमों के तहत सीआरसीएस ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी वित्तीय वर्ष में किसी संस्था को उसकी मौजूदा शाखाओं के 10% से अधिक, अथवा अधिकतम 10 नई शाखाएं खोलने की ही अनुमति दी जाएगी।
इन संशोधित प्रावधानों का उद्देश्य मल्टी-स्टेट सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देना है। सहकारी वित्त में बढ़ती जन-भागीदारी और जमाकर्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह कदम अनियंत्रित विस्तार पर नियंत्रण और कमजोर वित्तीय स्थिति वाली संस्थाओं की निगरानी के लिए एक अहम पहल के रूप में देखा जा रहा है।