
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग मानदंडों और नियामकीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए चार सहकारी बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया है। यह कार्रवाई बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के अंतर्गत आरबीआई को प्राप्त शक्तियों के तहत की गई है।
आरबीआई के 23 जून 2025 को जारी आदेश के अनुसार, हैदराबाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक लिमिटेड पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस दंड का कारण बैंक द्वारा नियामकीय आवश्यकताओं का उल्लंघन करना बताया गया है।
इसी तरह, करीमनगर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक लिमिटेड, तेलंगाना पर भी 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। बैंक पर यह दंड बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 20 और 56 के उल्लंघन के कारण लगाया गया है, जिसमें कुछ प्रतिबंधित लोन सुविधाओं की पेशकश शामिल थी।
चित्तूर को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, आंध्र प्रदेश को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘एक्सपोज़र मानदंड’ और ‘अपने ग्राहक को जानिए ’ से जुड़े दिशा-निर्देशों के पालन में चूक के लिए 1 लाख रुपये का दंड दिया गया है।
इसी प्रकार, कर्नाटक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुद्देबिहाल, कर्नाटक पर भी उपरोक्त मानकों के उल्लंघन के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह दंड धारा 47ए(1)(सी), 46(4)(आई) और धारा 56 के तहत आरबीआई को प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि यह दंडात्मक कार्रवाई केवल नियामकीय चूक के मद्देनज़र की गई है और इसका उद्देश्य सहकारी बैंकों को बेहतर अनुपालन के लिए प्रेरित करना है। यह कदम यह भी सुनिश्चित करता है कि बैंक ग्राहकों की वित्तीय सुरक्षा से कोई समझौता न करें और पारदर्शिता बनाए रखें।